________________ [ 53 ] नियुक्ति प्रागम एवं पूज्य हेमचन्द्राचार्य द्वारा रचित प्राचीन इतिहास के परिशिष्ट पर्व में भी प्रतिमा का सत्य बताया गया है, फिर भी प्रतिमा विषयक सत्य को छिपाना प्राचार्य का अनुचित कार्य ही है / इतिहास लेखन में स्थानकपंथी प्राचार्य को यदि प्रतिमा विरोधी मान्यता का ही समर्थन एवं निरूपण करना था, तो इतिहास लिखने की आवश्यकता ही क्या थी ? और उन्होंने अपने स्थानकपंथी इतिहास का नाम "जैनधर्म का मौलिक इतिहास" ऐसा रखकर असत्य का सहारा क्यों लिया ? पंडिक्कमणे मुंनिदान विहारे, हिंसा दोष विशेष / लाभालाभ विचारी जोता, प्रेतिमा मां शो द्वेष ? -यायविशारद पूज्य यशोविजयजी उपाध्यायजी