________________ [ 21 ] में नहीं है" बिल्कुल अनुचित एवं कृतघ्नता का सूचक है। यह कैसा गूढाचार है कि इतिहास की पुष्टि में सहारा लेना त्रिषष्ठि शलाका पुरुष आदि चरित्रों का और स्थानकपंथी स्वमान्यता से विरोध प्राये वहाँ बोल उठना कि मूलागमों में ऐसी कोई बात पायी नहीं है ! कैसी हास्यास्पद बात प्राचार्य कर रहे हैं, गुड़ खाना और गुलगुलों से परहेज ! जैनागम एवं प्रागमेतर जैन ग्रन्थों में नाम एवं स्थापना की तरह द्रव्य तीर्थंकर भी वंदनीय माने गये हैं / यह सत्य तथ्य एक प्रामाणिक इतिहासकार को स्वीकार करना चाहिए। अभवि एवं दुर्भवि को जैनागम एवं आगमेतर जैन साहित्य कथित बात नहीं सुहाती है, जैसे उल्लू को प्रकाश /