________________ [ 25 ] रखकर प्राचार्य ने जैनधर्म के तीर्थंकरों के इतिहास के विषय में अपनी अनभिज्ञता एवं अज्ञता सूचित की है। तथ्य तो यह है कि वैतनिक पंडितों के बल बूते पर इतिहास की रचना करवा लेना आसान है किन्तु बिना गुरुगम ऐसे प्रश्नों का रहस्य पाना आसान नहीं है। आश्रवों को हेय-त्याज्य कहकर छुड़वाने वाले प्राप्त तीर्थंकरों ने देवों द्वारा की गयी दिव्यध्वनि, पुष्पवृष्टि, चॅवर ढुलाना आदि प्रवृत्ति को त्याज्य नहीं कहा है, अन्यथा काम भोग की तरह उनका भी प्राप्त भगवान अवश्य निषेध करते। -न्यायविशारद पूज्य यशोविजयजी उपाध्याय