________________ [प्रकरण-१०] जरासंध और कृष्ण के बीच युद्ध ___ वासुदेव कृष्ण और प्रतिवासुदेव जरासंध के बीच युद्ध हुआ / जरासंध ने जरा नाम की विद्या से कृष्ण के सैनिकों को हतप्रभ कर दिया। जरा की बीमारी के कारण यादव सैन्य को लड़ाई लड़ने में असमर्थ देखकर, जरा निवारण हेतु वनमाली ने अट्ठम ( तीन उपवास ) तप किया। तप के प्रभाव से तुष्ट होकर धरणेन्द्र की अग्रमहिषी पद्मावती देवी ने महिमावन्ती श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा दी। जिसके अभिषेक जल छिड़कने से सब ही सैनिकों की मूर्छा दूर हुई / उस समय नेमिनाथजी ने विजय सूचक शंखनाद किया। शंखपूरने के कारण वहां शंखेश्वर नाम का गाँव बसाया, इस शंखेश्वर गांव में पार्श्वनाथजी की प्रतिमा विराजमान की गयी और तब से पार्श्वनाथजी का एक नाम " शंखेश्वर पार्श्वनाथ" पड़ा। आज भी गुजरात के मेहसाणा जिले में 'शंखेश्वरजी तीर्थ" मौजूद है / श्री कल्पसूत्र की टीका में भी इसका उल्लेख है। उक्त विषय में श्री शुभवीर विजय महाराज साहब का बनाया स्तवन जैन समाज में प्रत्यन्त प्रसिद्ध है / यथा शंखपुरी सबको जगावे, शंखेश्वर गाम बसावे / मंदिर में प्रभु पधरावे, शंखेश्वर नाम धरावे रे / /