________________ [ 50 ] फूलबालक से इष्टसिद्धि का संकेत पाकर कूणिक ने वैशाली पर प्रबल आक्रमण किया। उसे इस बार वैशाली का प्राकार भंग करने में सफलता प्राप्त हो गई।xxx मीमांसा-इन सब बातों से इस तथ्य की ठोस पुष्टि होती है कि उस समय में भी यानी प्राज से करीब 2500 वर्ष पहिले भी वैशाली नगरी में श्री मुनिसुव्रत स्वामी का प्रभावशाली स्तूप था अर्थात् जिम मंदिर था, जिसके कारण ही वैशाली अविजित रही थी। जिनस्तूप के ऐसे अवर्णनीय प्रभाव को एवं जिनमन्दिर विषयक तथ्य का स्थानकपंथी प्राचार्य ने यहां प्रसंग प्राप्त विशद वर्णन नहीं किया है जो अनुचित है / प्राचार्य ने अपने इतिहास में यह भी नहीं लिखा है कि यह स्तूप कब बना था ? श्री महावीर स्वामी के समय में भी इसकी महिमा थी, आदि तथ्यों को भी प्राचार्य ने छिपाया है। फिर भी आज से 2500 साल पहिले भी वैशाली में जिनस्तूप यानी जिनमन्दिर था, इससे मूर्तिपूजा विषयक ठोस तथ्य को इतिहासकार प्राचार्य क्या स्वीकार करेंगे ? क्या प्राचार्य सत्य को सत्य रूप में पसंद करेंगे? सूत्रमपास्य जड़ा भाषन्ते, केचन मतमुत्सूत्रम् रे / किं कुर्मस्ते परिहृत पयसो, यदि पियन्ते मूत्रम् रे / अर्थात्-सूत्र नीति को छोड़कर मूर्ख-जड़ उत्सूत्र बोलता है। जो स्वादिष्ट दूध को छोड़कर पिशाब पीता है, उनके लिये हम क्या कर सकते हैं ? -पू० विनय विजयजी उपाध्याय