________________ प्राशा व्यक्त करता हूँ कि सभी सज्जन मेरी इस कृति को स्वीकार करेंगे तथा ऐसी कृतियों का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार कर नामधारी प्राचार्यादि द्वारा होते विषैले प्रचार को रोकने का भरसक प्रयत्न करेंगे। रायपसेणी जीवाभिगमे, भगवती सूत्रे भाखी जी। जंबूद्वीप पन्नती ठाणांगे, विवरीने घणु दाखीजी // वली अशाश्वति ज्ञाता कल्पमां, व्यवहार प्रमुखे आखीजी। ते जिन प्रतिमा लोपै पापी, जिहां बहुसूत्र छ साखी जी॥ न्यायविशारद पू० यशोविजयजी महाराज के लघुभ्राता -श्री पद्मविजयजी महाराज