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कुमारसंभव
अपि स्वशत्तया तपसि प्रवर्तसे शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् । 5/33 और अपने शरीर की शक्ति के अनुसार ही तप कर रही हैं न ! क्योंकि देखिए धर्म के जितने काम हैं, उनमें शरीर की रक्षा करना सबसे पहला काम है। तस्याः शरीरे प्रतिकर्म चक्रुर्बन्धुस्त्रियो याः पतिपुत्रवत्य: । 7/6 कुटुम्ब की सुहागिन और पुत्रवती स्त्रियाँ पार्वतीजी का सिंगार करने लगीं । तया तु तस्यार्थ शरीर भाजा पश्चातकृताः स्निग्ध जनाशिषोऽपि । 7 /28 पर पार्वतीजी ने भगवान् शंकर के आधे शरीर में बसकर अपनी सखियों के आशीर्वाद छोटे कर दिए हैं।
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शरीरमात्रं विकृतिं प्रपेदे तथैव तस्थुः फणरत्न शोभाः । 7/34
वे भी उन-उन अंगों के आभूषण बन गए, पर उनके फणों पर जो मणि थे, वे ज्यों के त्यों चमकते रह गए।
न नूनमारूढरुषा शरीरमनेन दग्धं कुसुमायुधस्य । 7/67
अब हमारी समझ में आ रहा है कि, इन्होंने कामदेव को क्रोध करके भस्म नहीं किया है।
अंगना
1. अंगना :- [ प्रशस्तम् अङ्गम् अस्ति यस्याः अङ्ग+न+यप्] पत्नी, नारी। तया गृहीतं नु मृगाङ्ग नाभ्यस्ततो गृहीतं नु मृगाङ्ग नाभिः । 1/46
उसे देखकर यह पता ही नहीं चल पाता था कि यह कला उन्होंने हरिणियों से सीखी थी या हरिणियों ने उनसे सीखी थी ।
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2. कामिनी : - वि० [कम्+ णिनि ] स्त्री, पत्नी, गृहिणी ।
कासि कामिन्सुरतापराधात्पादानतः कोपनयावधूतः । 3 / 8
कामी ! कौन सी ऐसी स्त्री है, जो आपका संभोग न पाने पर क्रोध करके आपसे इतनी रूठी बैठी है।
वसतिं प्रिय कामिनां प्रियास्त्वदृते प्रापयितुं कः ईश्वरः 14/11
कामिनियों को उनके प्यारों के घर तुम्हारे बिना कौन पहुँचायेगा ।
3. गृहिणी : - [ गृह + इनि + ङीष् ] पत्नी ।
प्रायेण गृहिणी नेत्राः कन्यार्थेषु कुटुम्बिनः । 6 / 85
जब कभी कन्या के सम्बन्ध की कोई बात होती है तो, गृहस्थ लोग अपनी स्त्रियों से ही सम्मति लिया करते हैं।