Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमारसंभव अपि स्वशत्तया तपसि प्रवर्तसे शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् । 5/33 और अपने शरीर की शक्ति के अनुसार ही तप कर रही हैं न ! क्योंकि देखिए धर्म के जितने काम हैं, उनमें शरीर की रक्षा करना सबसे पहला काम है। तस्याः शरीरे प्रतिकर्म चक्रुर्बन्धुस्त्रियो याः पतिपुत्रवत्य: । 7/6 कुटुम्ब की सुहागिन और पुत्रवती स्त्रियाँ पार्वतीजी का सिंगार करने लगीं । तया तु तस्यार्थ शरीर भाजा पश्चातकृताः स्निग्ध जनाशिषोऽपि । 7 /28 पर पार्वतीजी ने भगवान् शंकर के आधे शरीर में बसकर अपनी सखियों के आशीर्वाद छोटे कर दिए हैं। 479 शरीरमात्रं विकृतिं प्रपेदे तथैव तस्थुः फणरत्न शोभाः । 7/34 वे भी उन-उन अंगों के आभूषण बन गए, पर उनके फणों पर जो मणि थे, वे ज्यों के त्यों चमकते रह गए। न नूनमारूढरुषा शरीरमनेन दग्धं कुसुमायुधस्य । 7/67 अब हमारी समझ में आ रहा है कि, इन्होंने कामदेव को क्रोध करके भस्म नहीं किया है। अंगना 1. अंगना :- [ प्रशस्तम् अङ्गम् अस्ति यस्याः अङ्ग+न+यप्] पत्नी, नारी। तया गृहीतं नु मृगाङ्ग नाभ्यस्ततो गृहीतं नु मृगाङ्ग नाभिः । 1/46 उसे देखकर यह पता ही नहीं चल पाता था कि यह कला उन्होंने हरिणियों से सीखी थी या हरिणियों ने उनसे सीखी थी । For Private And Personal Use Only 2. कामिनी : - वि० [कम्+ णिनि ] स्त्री, पत्नी, गृहिणी । कासि कामिन्सुरतापराधात्पादानतः कोपनयावधूतः । 3 / 8 कामी ! कौन सी ऐसी स्त्री है, जो आपका संभोग न पाने पर क्रोध करके आपसे इतनी रूठी बैठी है। वसतिं प्रिय कामिनां प्रियास्त्वदृते प्रापयितुं कः ईश्वरः 14/11 कामिनियों को उनके प्यारों के घर तुम्हारे बिना कौन पहुँचायेगा । 3. गृहिणी : - [ गृह + इनि + ङीष् ] पत्नी । प्रायेण गृहिणी नेत्राः कन्यार्थेषु कुटुम्बिनः । 6 / 85 जब कभी कन्या के सम्बन्ध की कोई बात होती है तो, गृहस्थ लोग अपनी स्त्रियों से ही सम्मति लिया करते हैं।

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 441