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[छब्बीस]
जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३ ५. गोम्मटसार के कर्ता के गुरु इन्द्रनन्दी दिगम्बर
७६९ ६. श्वेतपटश्रमणों का पाषण्डरूप में उल्लेख
99o ७. 'कल्पव्यवहार' आदि ग्रन्थ दिगम्बरपरम्परा में भी ८. छेदपिण्ड 'मूलाचार' आदि दिगम्बरग्रन्थों की परम्परा का ७७१ ९. 'देशयति' शब्द देशव्रती या श्रावक का ही पर्यायवाची
छेदशास्त्र - प्रतिक्रमण-ग्रन्थत्रयी
पंचविंश अध्याय
बृहत्प्रभाचन्द्रकृत तत्त्वार्थसूत्र - इसके दिगम्बरग्रन्थ होने के प्रमाण१. दिगम्बरमत में भी जिनकल्प-स्थविरकल्प मान्य, किन्तु दोनों नाग्न्यलिंगी
७८७ २. यापनीयमत में जिनकल्प पर विशेष बल नहीं ३. केवलिभुक्ति-भ्रम-परिहारार्थ परीषहसूत्रों का अनुल्लेख
७९० ४. आचार्य अमृतचन्द्र का अनुसरण ५. भाववेदत्रय की स्वीकृति
७९१ ६. 'दशसूत्र' शब्द का प्रयोग - शब्दविशेष-सूची
७९३ - प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची
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