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[ चौबीस ]
जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३
एकविंश अध्याय
हरिवंशपुराण
प्रथम प्रकरण – हरिवंशपुराण के दिगम्बरग्रन्थ होने के प्रमाण
हरिवंशपुराण में यापनीयमत- विरुद्ध सिद्धान्त
स्त्रीमुक्तिनिषेध
१.
२. सवस्त्रमुक्ति एवं गृहस्थमुक्ति का निषेध
३. परतीर्थिकमुक्ति का निषेध
४. केवलिभुक्तिनिषेध
५. यापनीयमत- विरुद्ध अन्य सिद्धान्त
६. दिगम्बर - गुरुपरम्परा से सम्बद्ध ७. दिगम्बर-ग्रन्थकारों का गुणकीर्त्तन ८. दिगम्बरग्रन्थों का अनुकरण
द्वितीय प्रकरण - यापनीयपक्षधर हेतुओं की असत्यता एवं हेत्वाभासता द्वाविंश अध्याय
स्वयम्भूकृत पउमचरिउ
प्रथम प्रकरण - पउमचरिउ के दिगम्बरग्रन्थ होने के प्रमाण १. कथावतार की दिगम्बरीय पद्धति
२. सोलह स्वप्नों का वर्णन
३. सोलह कल्पों की मान्यता
४. स्त्रीमुक्तिनिषेध
५. परतीर्थिकमुक्तिनिषेध
६. सचेलमुक्ति का प्रतिपादन नहीं
७. दिव्यध्वनि द्वारा चौदह गुणस्थानों का उपदेश
द्वितीय प्रकरण - यापनीयपक्षधर हेतुओं की हेत्वाभासता
१. 'पद्म' नाम का प्रयोग यापनीयग्रन्थ का असाधारणधर्म नहीं २. दिगम्बरपरम्परा में भी नैगमदेव मान्य
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