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[ बाईस ]
षष्ठ प्रकरण— रत्नकरण्ड और आप्तमीमांसादि में शब्दार्थसाम्य सप्तम प्रकरण - यापनीयपक्षधर हेतुओं की असत्यता एवं हेत्वाभासता अष्टम प्रकरण - उत्तरभारतीय सचेलाचेल-निर्ग्रन्थसंघ के पक्षधर हेतुओं की असत्यता
एकोनविंश अध्याय रविषेणकृत पद्मपुराण
प्रथम प्रकरण - पद्मपुराण के दिगम्बरग्रन्थ होने के प्रमाण
जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३
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O पद्मपुराण में यापनीयमत- विरुद्ध सिद्धान्त
१. वैकल्पिक सवस्त्र - मुनिलिंग का निषेध
१. १. मुनियों का एक ही लिंग : दिगम्बरलिंग १.२. दिगम्बर मुनि की ही मुनि, श्रमण, साधु आदि संज्ञाएँ
१.३. 'निर्ग्रन्थ' शब्द 'दिगम्बर' का वाचक
१.४. वस्त्र का भी परित्याग 'अशेष परिग्रहत्याग' का लक्षण
१.५. सभी के द्वारा दिगम्बर दीक्षा का ग्रहण १.६. सभी को दिगम्बर मुनि बनने का उपदेश १.७. वस्त्रपात्रादि उपकरणधारी कुलिंगी हैं १.८. जैनलिंग से ही मोक्ष की प्राप्ति
२. वस्त्रमात्र - परिग्रहधारी की क्षुल्लक संज्ञा
३. गृहस्थमुक्तिनिषेध
४. परतीर्थिक- मुक्तिनिषेध
५. स्त्रीमुक्तिनिषेध
६. सोलहकल्पादि की स्वीकृति
७.
कथावतार की दिगम्बरपद्धति
द्वितीय प्रकरण - यापनीयपक्षधर हेतुओं की असत्यता एवं हेत्वाभासता
विंश अध्याय
वराङ्गचरित
प्रथम प्रकरण - वराङ्गचरित के दिगम्बरग्रन्थ होने के प्रमाण वराङ्गचरित में यापनीयमत- विरुद्ध सिद्धान्त
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