Book Title: Haribhadrasuri ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Anekantlatashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trsut
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________________ अन्त में भगवान से प्रार्थना करते है कि दिवंगत सांसारिक माता-पिता की आचार्य देवेश की, गुरु दादी की, गुरु मैया की, सभी साधु-साध्वीयों की, महापुरुषों की ऐसे आशीष मिले कि आप मोक्ष गामी बने। असीम शुभकामनाओं के साथ... किशोरमल, पृथ्वीराज, मूलचंद, मुकेश, पंकज, अमीत, अश्विन, दिलीप, दीक्षित बेटा पोता टीलचंदजी गेलाजी कावेडी परिवार, भीनमाल। शुभकामना -सुरेश एन. बल्लु जैन जगत में प्रभु महावीर के शासन में उनकी कृपा से, विश्व पूज्य प्रभु श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराजा की दिव्य कृपा से वर्तमानाचार्य देवेश श्रीमद्विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्तिनी सरल स्वभावी कोमलहृदया परम पूज्य साध्वीजी श्री. कोमललताश्रीजी म.सा. की सुशिष्या साध्वीजी श्री अनेकान्तलता श्री म.सा. को जैन विश्व भारती-लाडनूं द्वारा ‘आचार्य हरिभद्रसूरि के दार्शनिक चिन्तन का वैशिष्ट्य' पर पी.एच.डी. डिग्री से राजमहेन्द्र (आ.प्र) में सम्मानित किया गया / यह सुनकर हमें अत्यंत आनंद की अनुभूति हुई। दक्षिण भारत का उग्र विहार होते हुए भी सच्ची लगन, साहित्यिक प्रेम व पठन-पाठन ही मुख्य कर्तव्य के कारण ही पी.एच.डी. का सन्मान प्राप्त किया है। परम पूज्य मातृहृदया गुरुजी श्री कोमललता श्रीजी म.सा. की अनुपम कृपा एवं गुरु बहिनों का प्रेम आपके उपर हमेशा रहा है। हमें गौरव है कि पी.एच.डी. प्रथम अध्याय आपने थराद से प्रारम्भ किया और चातुर्मास दरम्यान दो अध्याय आपने कठोर परिश्रम करके पूर्ण किये। तत्पश्चात् दक्षिण की तरफ विहार किया। हम थराद की ओर से बहुत-बहुत बधाई देते है। परमात्मा के शासन को, दादा गुरुदेव के समुदाय को, आपकी जन्मभूमि भीनमाल को, अपने गुरुदेव राष्ट्रसंत आचार्य श्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी को आपकी गुरुणीजी श्री कोमललताश्रीजी को, अपने सांसारिक परिवारजनों को गौरवान्वित कर सब का नाम आपने रोशन किया है। हमें बहुत खुशी एवं गर्व है। __ भविष्य में उत्तरोत्तर अभ्यास करके शासन को नयी दिशा देंगे और शासन का नाम रोशन करेंगे - इसी शुभ कामना एवं शुभेच्छा के साथ अभिनन्दन / A20 VIIIIIII