Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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-३..] कलासवर्णव्यवहारः
[३७ कश्चित्पणेन लभते त्रिपञ्चभागं पलस्य पिप्पल्याः। नवभिः पणैर्द्विभक्तैः किं गणकाचक्ष्व गुणयित्वा ॥ ५॥ क्रीणाति पणेन वणिगजीरकपलनवदशांशकं यत्र । तत्र पणैः पश्चाधैः कथय त्वं किं समग्रमते ॥६॥ ध्यादयो द्वितयवृद्धयोंऽशकास्त्र्यादयो द्वयचया हराः पुनः । ते द्वये दशपदाः कियत्फलं ब्रूहि तत्र गुणने द्वयोर्द्वयोः ।। ७ ॥
इति भिन्नगुणाकारः।
भिन्नभागहारः भिन्नभागहारे करणसूत्रं यथाअंशीकृत्यच्छेदं प्रमाणराशेस्ततः क्रिया गुणवत्। प्रमितफलेऽन्यहरघ्ने विच्छिदि वा सकलवच्च भागहृतौ ॥ ८॥
अत्रोद्देशकः हिङ्गोः पलार्धमौल्यं पणत्रिपादांशको भवेद्यत्र । तत्रार्धे विक्रीणन् पलमेकं किं नरो लभते ॥९॥ अगरोः पलाष्टमेन त्रिगुणेन पणस्य विंशतित्र्यंशान् । उपलभते यत्र पुमानेकेन पलेन किं तत्र ॥१०॥ पणपञ्चमैश्चतुर्भिर्नखस्य पलसप्तमो व्यशीतिगुणः । संप्राप्यो यत्र स्यादेकेन पणेन किं तत्र ॥११॥ हो तो हे गणितज्ञ ! गुणन के पश्चात् कहो कि उसे ३ पण में कितनी मिर्च मिलेगी ? ॥५॥ एक वणिक एक पण में पल जीरा (cumin seeds) खरीदता है । हे समग्रमते ! बतलाओ कि वह ५ पण में कितना खरीदेगा? ॥६॥ दिये गये भिन्नों में अंश २ से आरम्भ होकर २ से बढ़ते चले जाते हैं। उनके हर ३ से आरम्भ होकर २ से बढ़ते चले जाते हैं; वे अंश और हर दोनों दशाओं में संख्या में दस रहते हैं । बतलाओ कि दो भिन्नों को एक बार में लेने पर उनके गुणनफल अलग-अलग क्या होंगे? ॥७॥ इस प्रकार, कलासवर्ण व्यवहार में भिन्न गुणकार नामक परिच्छेद समाप्त हुआ।
भिन्न भागहार ( भिन्नों का भाग ) भिन्नों के भाग के सम्बन्ध में निम्नखित नियम है
भाजक के हर को अंश तथा अंश को हर बनाने के पश्चात् केवल गुणन की क्रिया करना पड़ती है। अथवा, भाजक और भाज्य को एक दूसरे के हरों द्वारा गुणित कर प्राप्त हर रहित गुणनफलों का भाग केवल पूर्ण संख्याओं के भाग की भाँति किया जाता है ॥८॥
उदाहरणार्थ प्रश्न जब ३ पण में पल हींग मिलती है तो एक व्यक्ति को एक पल हींग उसी भाव से बेचने पर क्या मिलेगा? ॥९॥ है पल ( लाल चंदन की लकड़ी) का मूल्य २. पण है तो एक पल अगरु का क्या मूल्य होगा ? ॥१०॥ नख इत्र के पल का मूल्य ६ पण है तो एक पण में ( उसी अर्घ से) कितने पल इन मिलेगा? ॥११॥ दिये गये भिन्नों के अंश ३ से आरम्भ होकर क्रमशः १ द्वारा
(७) यहाँ कथित भिन्न , , , इत्यादि हैं ।
(८
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---अदबस ....
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