Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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-७. २२३३] क्षेत्रगणितव्यवहारः
[२४७ इष्टसंख्याव्यासवत्समवृत्तक्षेत्रमध्ये समचतुरश्राद्यष्टक्षेत्राणां मुखभूभुजसंख्यानयनसूत्रम्लब्धव्यासेनेष्टव्यासो वृत्तस्य तस्य भक्तश्च । लब्धेन भुजा गुणयेद्भवेच्च जातस्य भुजसंख्या ॥ २२१३ ॥
अत्रोद्देशकः वृत्तक्षेत्रव्यासस्त्रयोदशाभ्यन्तरेऽत्र संचिन्य । समचतुरश्राद्यष्टक्षेत्राणि सखे ममाचक्ष्व ।। २२२३ ।। ___ आयतचतुरश्रं विना पूर्वकल्पितचतुरश्रादिक्षेत्राणां सूक्ष्मगणितं च रज्जुसंख्यां च ज्ञात्वा तत्तत्क्षेत्राभ्यन्तरावस्थितवृत्तक्षेत्रविष्कम्भानयनसूत्रम्परिधेः पादेन भजेदनायतक्षेत्रसूक्ष्मगणितं तत् । क्षेत्राभ्यन्तरवृत्ते विष्कम्भोऽयं विनिर्दिष्टः ।। २२३३ ॥
व्यास के ज्ञात संख्यात्मक मान वाले समवृत्त क्षेत्र में अंतलिखित वर्ग से प्रारंभ होने वाली आठ प्रकार की आकृतियों के आधार, ऊपरी भुजा और अन्य भुजाओं के संख्यात्मक मानों को निकालने के लिये नियम
दिये गये वृत्त के व्यास के मान को न्यास से प्राप्त ऐसे वृत्त के व्यास द्वारा भाजित किया जाता है, जो निर्दिष्ट प्रकार की विकल्प से चुनी हई आकृति के परितः खींचा जाता है। इस मन से चुनी हुई आकृति के भुजाओं के मानों को उपर्युक्त परिणामी भजनफलों द्वारा गुणित करना चाहिए। इस प्रकार, दिये गये वृत्त में उत्पन्न आकृति की भुजाओं के संख्यात्मक मानों को प्राप्त करते हैं ॥ २२१३॥
उदाहरणार्थ प्रश्न समवृत्त आकृति का व्यास १३ है। हे मित्र, ठीक तरह विचार कर मुझे बतलाओ कि इस वृत्त में अंतलिखित वर्गादि आठ प्रकार की विभिन्न आकृतियों के संबंध में विभिन्न माप क्या-क्या हैं ॥२२२१॥
केवल आयत क्षेत्र को छोड़कर पूर्वकथित विभिन्न प्रकार के चतुर्भुज और त्रिभुज क्षेत्रों के अंतर्गत वृत्तों के व्यास का मान निकालने के लिये नियम, जबकि इन्हीं चतुर्भुज और अन्य आकृतियों के संबंध में क्षेत्रफल का सूक्ष्म माप और परिमिति का संख्यात्मक मान ज्ञात हो
(आयत क्षेत्र को छोड़कर अन्य किसी भी ) आकृति के सूक्ष्म ज्ञात क्षेत्रफल को ( उस आकृति की) परिमिति की एक चौथाई राशि द्वारा भाजित करना चाहिये । वह परिणाम उस आकृति के अंतर्गत वृत्त के व्यास का माप होता है ॥ २२३३॥
(२२१३) इष्ट और मन से चुनी हुई आकृतियों की सजातीयता ( similiarity ) से यह नियम स्वमेव प्राप्त हो जाता है।
(२२३३) यदि सब भुजाओं का योग 'य' हो, अंतर्गत वृत्त का व्यास 'व' हो, और संबंधित चतुर्भुज या त्रिभुजक्षेत्र का क्षेत्रफल 'क्ष' हो, तो
-x-=क्ष होता है।
इसलिये नियम में दिया गया सूत्र, व = क्षय, है।