Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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[७. २१४३
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गणितसारसंग्रहः
अत्रोद्देशकः समचतुरश्रस्य त्रिंकबाहुप्रतिबाहुकस्य चान्यस्य । कोटिः पञ्च द्वादश भुजास्य किं वा बहिवृत्तम् ।। २१४३ ॥ बाहू त्रयोदश मुखं चत्वारि धरा चतुर्दश प्रोक्ता । द्विसमचतुरश्रबाहिरविष्कम्भः को भवेदत्र ॥२१५३ ॥ पञ्चकृतिर्वदनभुजाश्चत्वारिंशच्च भूमिरेकोना। त्रिसमचतुरश्रबाहिरवृत्तव्यासं ममाचक्ष्व ॥ २१६३ ।। व्येका चत्वारिंशद्वाहुः प्रतिबाहुको द्विपञ्चाशत् । षष्टिभूमिर्वदनं पञ्चकृतिः कोऽत्र विष्कम्भः ।। २१७३ ॥ त्रिसमस्य च षड् बाहुस्त्रयोदश द्विसमबाहुकस्यापि । भूमिर्दश विष्कम्भावनयोः को बाह्यवृत्तयोः कथय ।। २१८३ ।। बाहू पञ्चव्युत्तरदशकौ भूमिश्चतुर्दशो विषमे । त्रिभुजक्षेत्रे बाहिरवृत्तव्यासं ममाचक्ष्व ।। २१९३ ॥ द्विकबाहुषडश्रस्य क्षेत्रस्य भवेद्विचिन्त्य कथय त्वम् । बाहिरविष्कम्भं मे पैशाचिकमत्र यदि वेत्सि ।। २२०१ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न
( समबाहु चतुर्भुज ) वर्गाकृति के संबंध में, जिसकी प्रत्येक भुजा ३ है, और अन्य चतुर्भुज क्षेत्र के संबंध में, जिसकी लंब भुजा ५ और क्षैतिज भुजा १२ है, बतलाओ कि परिगत वृत्त के व्यास के माप क्या-क्या हैं? ॥ २१४१॥ दो पाश्र्व भुजाओं में से प्रत्येक माप में १३ है. ऊपरी भुजा ४ है. और आधार माप में १४ है। इस दशा में ऐसे दो समान भुजाओं वाले चतुर्भुज क्षेत्र के परिगत वृत्त के व्यास का माप बतलाओ॥२१५१॥ ऊपरी भुजा और दो बाजू की भुजाओं में से प्रत्येक माप में २५ है। आधार माप में ३९ है। यहाँ बतलाओ की ऐसे तीन बराबर भुजाओं वाले चतुर्भुज के परिगत वृत्त के व्यास का माप क्या है ? ॥ २१६३ ॥ पार्श्व भुजाओं में से किसी एक का माप ३९ है; दूसरी का माप ५२ है: आधार का माप ६० और ऊपरी भुजा का माप २५ है। इस चतुर्भुज क्षेत्र के संबंध में परिगत वत्त का व्यास क्या है ? ॥ २१७१॥ किसी समभुज त्रिभुज की भुजा का माप ६ है. और समद्विबाह त्रिभुज की भुजा का माप १३ है । इस दशा में आधार का माप १० है। इन त्रिभुजों के परिगत वत्तों के व्यासों के मान निकालो ॥ २८॥ विषम त्रिभुज के संबंध में दो भुजाएँ माप में १५ और १३ हैं: आधार का माप १४ है। उसके परिगत वृत्त के व्यास का मान मुझे बतलाओ ॥ २१९ ॥यदि तुम गणित की पैशाचिक विधियाँ जानते हो, तो ठीक तरह सोचकर बतलाओ कि जिसकी प्रत्येक भुजा का माप २ है ऐसे नियमित षट्भुजाकार आकृतिवाले क्षेत्र के परिगत वृत्त के व्यास का मान क्या होगा ? ॥ २२०१॥
(२२०%) इस गाथा पर लिखी गई कन्नड़ी टीका में प्रश्न को यह सूचित कर हल किया है कि नियमित षट्भुज का विकर्ण परिगत वृत्त के व्यास के तुल्य होता है। .