Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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२४८]
गणितसारसंग्रहः
[७. २२४३
अत्रोद्देशकः समचतुरश्रादीनां क्षेत्राणां पूर्वकल्पितानां च । कृत्वाभ्यन्तरवृत्तं ब्रह्मधुना गणिततत्त्वज्ञ ॥ २२४३ ॥
समवृत्तव्याससंख्यायामिष्टसंख्यां बाणं परिकल्प्य तद्वाणपरिमाणस्य ज्यासंख्यानयनसूत्रम्व्यासाधिगमोनस्स च चतुर्गुणिताधिगमेन संगुणितः। - यत्तस्य वर्गमूलं ज्यारूपं निर्दिशेत्प्राज्ञः ।। २२५३ ।।
अत्रोद्देशकः व्यासो दश वृत्तस्य द्वाभ्यां छिन्नो हि रूपाभ्याम् । छिन्नस्य ज्या का स्यात्प्रगणय्याचक्ष्व तां गणक ।। २२६३ ।।
समवृत्तक्षेत्रव्यासस्य च मौयाश्च संख्या ज्ञात्वा बाणसंख्यानयनसूत्रम्व्यासज्यारूपकयोगविशेषस्य भवति यन्मूलम् ।। तद्विष्कम्भाच्छोध्यं शेषामिषु विजानीयात् ॥ २२७३ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न वर्गादि पूर्वोल्लेखित आकृतियों के संबंध में अंतर्गत वृत्त खोंचकर, हे गणित तत्त्वज्ञ, प्रत्येक ऐसे अंतर्गत वृत्त के व्यास का मान बतलाओ ॥ २२४१ ।।
किसी समवृत्त के व्यास के ज्ञात संख्यात्मक मान के भीतर (सीमान्तः) बाण के माप की ज्ञात संख्या लेकर, ऐसे धनुष के धागे के संख्यात्मक मान को प्राप्त करने के लिये नियम जिसका बाण उसी दिये गये माप के तुल्य है
दिये गये व्यास के मान और बाण के ज्ञात मान के अंतर को बाण के मान की चौगुनी राशि द्वारा गुणित किया जाता है। परिणामी गुणनफल का जितना भी वर्गमूल आता है, उसे विद्वान पुरुष को धनुष की डोरी का इष्ट माप बतलाना चाहिये ॥ २२५१ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न वृत्त का ब्यास १० है। उसका २द्वारा अपकर्तन किया जाता है। हे गणितज्ञ, ठीक गणना के पश्चात् दिये गये व्यास के कटे हुए भाग के संबंध में धनुष की डोरी का माप बतलाओ ॥ २२६३ ॥
जब किसी दिये गये वृत्त के व्यास का संख्यात्मक मान और उस वृत्त संबंधी धनुष डोरी (जीवा) का मान ज्ञात हो, तब बाण का संख्यात्मक मान निकालने के लिये नियम
दिये गये वृत्त के संबंध में न्यास और जोवा (धनुष-डोरी रेखा) के ज्ञात मानों के वर्गों के अंतर का जो वर्गमूल होता है उसे व्यास के मान में से घटाया जाता है। परिणामी शेष की अर्द्धराशि बाण (रेखा) का इष्ट मान होती है ॥ २२७३ ॥
( २२५३ ) गाथा २२५३, २२७३, २२९३ और २३१३ में दिये गये सभी नियम इस यथार्थता पर आधरित है कि किसी वृत्त में प्रतिच्छेदन करने वाले ( intersecting) चाप कों की आबाधाओं (खंडों) के गुणनफल समान होते हैं ।