Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh

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Page 373
________________ ३४ गणित सारसंग्रह और १९६८ दण्ड (३९३ और ४०३) २६ योजन और १९५२ दण्ड (४१३ और ४२३) ६ योजन, २ क्रोश और ४८८ दण्ड (४५३) ६९१२ इकाई ईंटें (४६३) ३४५६ इकाई ईंटें (४७३) २१८४ इकाई ईंटें (४८३) १०८००० इकाई ईंटें (४९३) ४०३२० इकाई ईंटें (५०३) ४०३२० इकाई ईंटें (५१३) २०७३६ इकाई ईंटें (५३३) १४४० इकाई ईंटें और २८८० इकाई ईंटें (५५३) २६४० इकाई ईंटें १६८० इकाई ईंटें (५६३) २८८० इकाई ईंटें और १४४० इकाई ईंटें (५८३) २०; हे (५९-६०) ८९१ इकाई ईंटें (६२) १८७२० इकाई ईंटें (६८३) ६४ पट्टिका | अध्याय - ९ घटी (१३३) १२ दिनांश (१४३) २ (१६३ से १७) दिनांश; हस्त (२४) ८ हस्त (२५) २ (२७) २० हस्त (२९) १० ३७३) पटे दिनांश ८ (३८३ और ३९३) ५ हस्त (४१३ से (४९) १७५ पाद (५०) १ ० पाद (९३) दिनांश (११३) ३ १० घटी (१९) ८ अङ्गुल (२२) १६ (३१) ५; ५० (३४) ५ हस्त (३५ से ४२) २४ अङ्गुल (४४) ३२ अङ्गुल (४६ और ४७) ११२ अङ्गुल (५१ से ५२३) १०० योजन । -

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