Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 390
________________ गणितसारसंग्रह शब्द अध्याय पृष्ठ स्पष्टीकरण अभ्युक्ति विषम संक्रमण कोई भी दत्त दो राशियों के भाजक और भजनफल द्वारा प्ररूपित दो राशियों के योग एवं अंतर की अर्द्ध राशियों सम्बन्धी क्रिया। प्रथम तीर्थंकर का नाम । लम्बाई का माप । वृषभ १०८ व्यवहारांगुल २७ १ ४ परिशिष्ट ४ की सूची १ देखिये। व्युत्कलित शङ्ख शत ८ शत कोटि शाक शान्ति शेष २ ३२ | समानान्तर श्रेदि की समस्त श्रेदि में से श्रेढि का अंश घटाने की क्रिया । संकेतना का उन्नीसवां स्थान । सौ सैकड़ा। सौ करोड़। २६७ वृक्ष का नाम ( Teak tree )। १०८ शान्तिनाथ तीर्थङ्कर । आरम्भ से श्रेढि के अंश को निकाल देने पर शेष बचनेवाले पद । अपराह्न में बीतनेवाला दिनांश । प्रकीर्णक भिन्नों की एक जाति । घनमूल समूह के तीन अंकों में से एक। शेषनाड्य शेषमूल शोध्य ५३-१४ श्रावक श्रीपर्णी जैनधर्म का पालन करने वाला गृहस्थ । वृक्ष का नाम । Premna Spinosa. श्रङ्गाटक षोडशिका त्रिभुजाकार स्तूप । धान्य सम्बन्धी आयतन माप । परिशिष्ट ४ को सूची ३ देखिये। सकल कुट्टीकार सङ्क्रमण ---- -६ १२४ अनुपाती वितरण जिसमें भिन्न अंत भूत नहीं होते। | दो राशियों के योग एवं अन्तर की अर्द्ध राशियों सम्बन्धी क्रिया । श्रेदि का योग निकालने की क्रिया । 3 सङ्कलित सङ्क्रान्ति ५ | ८५ | सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने का मार्ग।

Loading...

Page Navigation
1 ... 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426