Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh

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Page 392
________________ गणितसारसंग्रह शब्द सूत्र अध्याय पृष्ठ स्पष्टीकरण अभ्युक्ति स्यादबाद "कथंचित्" का पर्यायवाची शब्द । (पाद टिप्पणी भी देखिये )। सोने का टंक ( सिक्का )। लम्बाई का माप । स्वर्ण हस्त ४ सुवर्ण भी। परिशिष्ट ४ की सूची १ देखिये। Phaenix or Elate Paludosa. हिन्ताल ६ ११९ वृक्ष का नाम । क्षित्या क्षेपपद ७० २ संकेतना का इक्कीसवां स्थान | २२ समान्तर श्रेढि के दुगुने प्रथम पद एवं प्रचय के अंतर की अर्द्धराशि । संकेतना का सत्रहवां स्थान । | संकेतना का तेईसवां स्थान । क्षोणी क्षोभ ६ ८८१८ पाना मग परतापान। नोट-उपर्युक्त सारणी में सूत्र अध्याय एवं पृष्ठ के प्रारम्भ के कुछ स्तम्भ भूल से रिक्त रह गये हैं। उन्हें क्रमानुसार नीचे दिया जा रहा है अगरु-९।३।३७ अग्र-६२ । अङ्ग-४५।४।७५। अङ्गुल-२७।१।४। अणु-४ अध्वान-१७७। अन्त्यधन-६३।२।२१। अन्तरावलम्बक-१८०३७/२३६। अन्तश्चक्रवाल वृत्त-६७३।७।१९७) अपर-२७२। अमोघवर्ष-३।१।। अम्लवेतस-६७/८।२६८। अयन-३५।१।। अरिष्टनेमि-८४११६।१०८। अर्जुन-६७।८।२६८। अर्बुद-६५।१।८। अवनति–२७७। अवलम्ब-१९२। अव्यक्त–१२२।३।६२। अशोक-२४१४७२। असित-६७८.२६८। आढक-३६।१।५ आदि-६४।।२।। आदिधन-२१॥ आदि मिश्रधन-२४| आबाधा-४९।७।१९२। आयतवृत्त-१८१। आयाम-९/७/१८४। आवलि-३२।१।४। इच्छा-२५४८३। इन्द्रनील-२२०।६।१४७/ इभदन्ताकार-८०३२००। उच्छवास-३३।१।५।

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