Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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गणितसारसंग्रह
शब्द
सूत्र अध्याय पृष्ठ
स्पष्टीकरण
अभ्युक्ति
कर्ण
कर्म
कर्मान्तिका
कर्ष
कला
कला सवर्ण
कार्षापण किष्कु
सम्मुख कोण बिन्दुओं को जोड़ने वाली सरल रेखा । जीव के रागद्वेषादिक परिणामों के परिशिष्ट १ में भी निमित्त से कार्माण वर्गणारूप जो पुद्गल
'कर्म' देखिए। स्कंध जीव के साथ बंधको प्राप्त होते हैं, उनको कर्म कहते हैं। किसी सान्द्र अथवा खात की घनात्मक समाई का व्यावहारिक माप । स्वर्ण या रजत का भार माप । परिशिष्ट ४ की
सूचिौँ ४ और ५
देखिये। कुप्य (base) धातुओं का भार माप। परिशिष्ट ४ की
सूची ६ देखिये। भिन्न ।
अध्याय तीन के प्रारम्भ में पाद
टिप्पणी देखिये। कर्ष। काष्ठ चीरने के सम्बन्ध में लम्बाई का माप। कुंकुम फूलों के पराग एवं अंशु ।
Croeus
sativus अनुपाती विभाजन । धान्य का आयतन सम्बन्धी माप ।
परिशिष्ट ४ की
सूची ३ देखिये। वृक्ष का नाम ।
Wrightia Antidysen
terica. धान्य का आयतन सम्बन्धी माप । परिशिष्ट ४ की
सूची ३ देखिये। वृक्ष का नाम ।
the Amaranath or the Barleria, Pandanus Odoratissimus,
कुट्टीकार कुडब
कुडहा। कुत्जा
कुम्भ
कुर्वक
केतकी