Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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3838
४४
तमाल
ताली
तिलक
तीर्थं
तीर्थेकर
तुला
शब्द
त्रसरेणु
त्रिप्रश्न
त्रिसमचतुरभ
दण्ड
दश दश कोंटि
दश लक्ष
दश सदस
द्विय शेषमूल द्विसम त्रिभुज
दिसम चतुरभ द्विद्विसम चतुरभ
दीनार
दृष्ट धन
द्रक्षूण
द्रोण
धनुषाकार क्षेत्र
सूत्र
३९
११६३
१
१
2
२६
१२
५
६३
६५
६४
६४
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५
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४३
८४
४३
३७
४३
अध्याय पृष्ठ
४
६
६ ११९
४
७२
९१
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१
१
७४ |
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९१
गणितसार संग्रह
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तीर्थों को उत्पन्न करनेवाली, चारघातिया कर्मों का नाशकर अर्हत पद से विभूषित आत्मा ।
६ कुप्य ( Baser) धातुओं का भार
८
माप ।
४
कण | क्षेत्रमाप |
२ संस्कृत ज्योतिष ग्रंथों के किसी अध्याय का नाम ।
१८१ तीन समान भुजाओं वाला चतुर्भुज क्षेत्र ।
४ दूरी की माप ।
८
२ २६
१
स्पष्टीकरण
वृक्ष का नाम ।
८
वृक्ष का नाम
सुन्दर पुष्पों वाला वृक्ष ।
उथला स्थान जहाँ से नदी आदि को पार कर सकते हैं।
८ दस करोड़ ।
संकेतना का दसवाँ स्थान |
दस हजार ।
मित्रों के विविध प्रश्नों की एक जाति ।
६८
१८० | दो समान भुजाओं वाला (समद्विबाहु )
त्रिभुज क्षेत्र |
१८० दो समान भुजाओं वाला चतुर्भुज क्षेत्र । १८० आयत क्षेत्र |
६
कुप्य धातुओं का भार माप । टंक(सिक्के) का नाम भी दीनार है।
दस लाख ( One million ) |
ज्ञात धन
६ कुप्य धातुओं (Baser metals )
का भार माप ।
धान्य सम्बन्धी आयतन माप
१९० वृत्त के चाप एवं चापकर्ण से सीमित क्षेत्र
अभ्युक्ति
Xantho
chymus
Pictorius
परिशिष्ट ४ की सूची १ देखिये ।
परिशिष्ट ४ की सूची ६ देखिये |
," "
परिशिष्ट ४ की सूची ३ देखिये ।