Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh

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Page 382
________________ चक्रिकाभञ्जन चतुर्मण्डल क्षेत्र चम्पक वय छन्द जन्य शब्द जम्बू जिन सूत्र चरमा चिति चित्र कुट्टीकार चित्र कुट्टीकार मिश्र २७३ जिनपति ज्येष्ठ धन डुण्डुक ६ ८२३ ६ ६८ १०३२ ३०३ २१६ ३३३÷ ९०३ ६४ ? ८३३ १०२ ६७ अध्याय पृष्ठ ७ ४ २ ६ ६ ६ ६ १ २०१ ६९ ४ २२ ११२ १६९ १७७ २६२ १४५ | अनुपाती विभाजन समन्वित विचित्र एवं मनोरञ्जक प्रश्न | ६ १६० अनुपाती विभाजन क्रिया के प्रयोग गर्भित विचित्र एवं मनोरञ्जक निश्चित प्रश्न | गणित सारसंग्रह ८० स्पष्टीकरण ६ ९१ जन्ममरण के चक्र का संहार करनेवाले; राष्ट्रकूट राजवंश के राजा का नाम । मध्य स्थिति पीले सुगन्धित पुष्प वाला वृक्ष प्रचय। वह राशि जो समान्तर श्रेढ के उत्तरोत्तर पदों में समान अन्तर स्थापित करती है । ७ | २०४ 'बीज' नामक दत्त न्यास से व्युत्पादित त्रिभुज और चतुर्भुज आकृतियाँ । वृक्ष का नाम । शेष मूल्य श्रेढि संकलन | ढेर । ६ १०८ | तीर्थंकर | ६ ११२ सबसे बड़ा धन । ८ २६८ | वृक्ष का नाम । अभ्युक्ति जिन्होंने घातिया कर्मों का नाश किया है वे सकल जिन हैं इनमें अरहंत और सिद्धगर्भित हैं । आचार्य, उपाध्याय तथा साधु एक देश जिन कहे जाते हैं। क्योंकि वे रत्नत्रय सहित होते हैं। संत सम्यक दृष्टि से लेकर अयोगी पर्यन्त सभी जिन होते हैं । ४३ Michelia Champaka A syllabic metre Eujenia Jambalona. जिन्होंने अनेक विषम भवों के गहन दुःख प्रदान करने वाले कर्म शत्रुओं को जीता है - निर्जरा की है, वे जिन कहलाते है ।

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