Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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-८. ६४ ]
खातव्यवहारः
अत्रोद्देशकः
विद्याधर नगरस्य व्यासोऽष्टौ द्वादशैव चायामः । पञ्च प्राकारतले मुखे तदेकं दशोत्सेधः ॥ ६२ ॥
इति खातव्यवहारे चितिगणितं समाप्तम् ।
कचिकाव्यवहारः
इतः परं ऋकचिकाव्यवहारमुदाहरिष्यामः । तत्र परिभाषा - हस्तद्वयं षडङ्गुलहीनं किष्काह्वयं भवति । इष्टाद्यन्तच्छेदनसंख्यैव हि मार्गसंज्ञा स्यात् ॥ ६३ ॥ अथ शाकाख्यद्व्यादिद्रुमसमुदायेषु वक्ष्यमाणेषु । व्यासोदय मार्गाणामङ्गुल संख्या परस्परन्नाप्ता ।। ६४ ॥ उदाहरणार्थ प्रश्न
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विद्याधर नगर के नाम से ज्ञात स्थान के संबंध में चौड़ाई ८ है, और लंबाई १२ है । प्राकार दीवाल की ती की मुटाई ५ और मुख में ( ऊपर की ) मुटाई १ है । उसकी ऊँचाई १० है । इस दीवाल का घनफल क्या है ? ॥ ६२ ॥
इस प्रकार खात व्यवहार में चिति गणित नामक प्रकरण समाप्त हुआ ।
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कचिका व्यवहार
इसके पश्चात् हम क्रकचिका व्यवहार ( लकड़ी चोरने वाले आरे से किए गये कर्म संबंधी क्रियाओं) का वर्णन करेंगे। पारिभाषिक शब्दों की परिभाषाः
६ अंगुल से हीन दो हस्त, किष्कु कहलाता । किसी दी गई लकड़ी को आरम्भ से लेकर छेदन ( काटने के रास्तों के माप ) की संख्या को मार्ग संज्ञा दी गई है ॥ ६३ ॥
तब कम से कम दो प्रकार की शाक ( teak ) आदि ( प्रकारों वाली ) लकड़ियों के ढेर के संबंध में चौड़ाई नापने वाली अंगुलों की संख्या और लंबाई नापने वाली संख्या, तथा मार्गों को नापने वाली संख्या, इन तीनों को आपस में गुणित किया जाता है। परिणामी गुणनफल हस्त अंगुलों की संख्या के वर्ग द्वारा भाजित किया जाता है । क्रकचिका व्यवहार में यह पट्टिका नामक कार्य के माप को उत्पन्न करता है । शाक ( teak-wood ) आदि ( प्रकारवाली ) लकड़ियों के संबंध में चौड़ाई तथा लंबाई नापनेवाली हस्तो की संख्याएँ आपस में गुणित की जाती हैं । परिणामी गुणनफल राशि मार्गों की संख्या द्वारा गुणित की जाती है, और तब ऊपर निकाली गई पट्टिकाओं की संख्या द्वारा भाजित की जाती है। यह आरे के द्वारा किये गये कर्म का संख्यात्मक माप होता है ॥ ६४-६६ ॥
( ६३ - ६७३ ) १ किष्कु = १३ हस्त । किसी लकड़ी के टुकड़े को चीरने में किसी इष्ट रास्ते अथवा रेखा का नाम मार्ग दिया गया है। किसी लकड़ी के टुकड़े में काटे गये तल का विस्तार, सामान्यतः उसे चीरने में किये गये काम का माप होता है, जब कि किसी विशिष्ट कठोरतावाली (जिसे कठोरता का एकक मान लिया हो ऐसी ) लकड़ी दी गई हो । काटे गये तक का यह विस्तार क्षेत्रफल के