Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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गणितसारसंग्रह
शब्द
सामान्य अर्थ
संख्या अभिधान
उद्गम
अम्बुधि अम्भोधि अश्व अश्विन्
आकाश
इन
इन्दु
इन्द्रिय
| महासागर The ocean| ४ | अब्धि देखिए । महासागर The ocean ४ | अन्धि देखिए । घोड़ा A horse ७. सूर्य के रथ में ७ घोड़े माने जाते हैं। घोड़े सहित Consi- ७ अश्व देखिए। ting of horse आकाश The sky
अनन्त देखिए। सूर्य The sun
वर्ष के बारह माहों के संवादी सूर्यों की संख्या १२ होती है; अर्थात् , धातृ, मित्र, अर्यमन् , रुद्र, वरुण, सूर्य, भग, विवस्वत, पूषन् , सवितृ, त्वष्ठू और विष्णु । ये बारह
आदित्य कहलाते हैं। चन्द्रमा The moon
पृथ्वी के लिये केवल एक चन्द्रमा है। इन्द्र देवता The god
चौदह मन्वन्तरों में से प्रत्येक के लिये १ इन्द्र की दर से Indra
चौदह इन्द्र होते हैं। इन्द्रिय An organ ५ | इन्द्रियां पांच प्रकार की होती हैं, आँख, नाक, जीभ, कान of sense
और शरीर ( स्पर्शन् )। greft An elephant संसार की आठ दिशा विदिशाओं की रक्षा आठ हाथी करते
हुए कहे जाते हैं। वे ऐरावत, पुण्डरीक, वामन, कुमुद,
अञ्जन, पुष्पदन्त, सार्वभौम और सुप्रतीक हैं। | धनुष An arrow
मन्मथ के पाँच बाण माने जाते हैं, अर्थात् , अरविन्द, अशोक,
चूत, नवमलिका और नीलोत्पल । आँख The eye
अक्षि देखिए।
अन्धि देखिए। महासागर
The ocean भगवान् विष्णु
विष्णु के ९ अवतार माने जाते हैं । God Visņu ऋतु A season
संस्कृत साहित्य के अनुसार वर्षा में ६ ऋतुएँ होती हैं,
अर्थात् , वसन्त, ग्रीष्म, वर्ष, शरद् , हेमन्त, शिशिर । हाथ The hand
मानव के दो हाथ होते हैं। जो किये जाते हैं, व्रत
५ | जैन धर्म के अनुसार पाँच प्रकार के व्रत होते हैं, अर्थात् , That which has
अहिंसा, अनृत, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह । to be done : an act of devotion or austerity
इषु
उदधि
ऋतु
कर
करणीय