Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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-९. २०]
छायाव्यवहारः
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अत्रोद्देशकः विंशतिहस्तः स्तम्भः षोडश भित्त्याश्रितच्छाया । द्विगुणा पुरुषच्छाया भित्तिस्तम्भान्तरं किं स्यात् ।। २४ ।।
अपरार्धस्सोदाहरणम् विंशतिहस्तः स्तम्भः षोडश भित्त्याश्रितच्छाया। कियती पुरुषच्छाया भित्तिस्तम्भान्तरं चाष्टौ ॥ २५ ॥
आरूढच्छायायाः संख्यां च भित्तिस्तम्भान्तरभूमिसंख्यां च पुरुषच्छायायाः संख्यां च ज्ञात्वा स्तम्भप्रमाणसंख्यानयनसूत्रम्नृच्छायानारूढा भित्तिस्तम्भान्तरेण संयुक्ता । पौरुषभाहृतलब्धं विदुः प्रमाण बुधाः स्तम्भे ॥ २६ ॥
अत्रोद्देशकः षोडश भित्त्यारूढच्छाया द्विगुणैव पौरुषो छाया । स्तम्भोत्सेधः कः स्याद्भित्तिस्तम्भान्तरं चाष्टौ ॥ २७ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न . एक स्तंभ २० हस्त ऊँचा है, और दीवाल पर पड़ने वाली छाया के अंश का माप (ऊंचाई) १६ हस्त है। उस समय पुरुष की छाया पौरुषी ऊँचाई से दुगुनी है। स्तंभ और दीवाल के अंतर का माप क्या हो सकता है ? ॥ २४ ॥
नियम के उत्तरार्द्ध भाग के लिए उदाहरणार्थ प्रश्न कोई स्तंभ ऊँचाई में २० हस्त है, और दीवाल पर पड़ने वाली उसकी छाया की ऊँचाई १६ है । दीवाल और स्तंभ का अंतर ८ हस्त है। पौरुषो ऊँचाई के प्रमाण द्वारा व्यक्त मानवी छाया का माप क्या है ? ॥ २५ ॥
जब दीवाल पर पड़ने वाली छाया के भाग की ऊंचाई का संख्यात्मक मान, उस स्तंभ तथा दीवार का अंतर, और मानुषी ऊँचाई के पदों में व्यक्त मानुषी छाया का माप भी ज्ञात हो, तब स्तंभ की ऊँचाई का संख्यात्मक मान निकालने के लिये नियम
दीवाल पर पड़ने वाली छाया के भाग का माप, मानवी ऊँचाई के पदों में व्यक्त मानवी छाया के माप द्वारा गुणित किया जाता है। इस गुणनफल में स्तंभ और दीवाल के अंतर ( बीच की दरी) का माप जोड़ा जाता है। इस प्रकार प्राप्त योग को मानवी ऊँचाई के पदों में व्यक्त मानवी छाया के माप द्वारा भाजित करने से जो भजनफल प्राप्त होता है वह बुद्धिमानों के द्वारा स्तंभ की उँचाई का माप कहा जाता है ॥ २६ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न दीवाल पर स्तंभ की छाया पड़ने वाला भाग १६ इस्त है। उस समय मानवो छाया का मान मानवी ऊँचाई से दुगुना है। दीवाल और स्तंभ का अंतर ८ हस्त है। स्तंभ की ऊँचाई क्या है? ॥२७॥