Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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-९. ४४]
छायाव्यवहारः
[२७९
अत्रोद्देशकः शङ्कप्रदीपयोर्मध्यं षण्णवत्यङ्गुलानि हि । द्वादशाङ्गुलशङ्कोस्तु दीपच्छायां वदाशु मे षष्टिर्दीपशिखोत्सेधो गणितार्णवपारग ॥ ४२ ॥
दीपशकुन्तरानयनसूत्रम्शङ्कुनितदीपोन्नतिराप्ता शङ्कुप्रामाणेन । तल्लब्धहता शङ्कुच्छाया शङ्कप्रदीपमध्यं स्यात् ।। ४३ ॥
अत्रोद्देशकः शङ्कुच्छायाङ्गुलान्यष्टौ षष्टिर्दीपशिखोदयः । शङ्खदीपान्तरं ब्रूहि गणितार्णवपारग ॥४४॥ दीपोन्नतिसंख्यानयनसूत्रम्
उदाहरणार्थ प्रश्न किसी शंकु और दीपक की क्षैतिज दूरी वास्तव में ९६ अंगुल है। दीपक की लौ की ऊँचाई जमीन से ६० अंगुल है। हे गणितार्णव (गणित समद्र) के पारगामी. मुझे शीघ्र ही १२ अंगुल ऊँचे शंकु के संबंध में दीपक की लौ के कारण उत्पन्न होने वाली छाया का माप बतलाओ ॥४१-४२ ॥
दीपक और शंकु के क्षैतिज अंतर को प्राप्त करने के लिए नियम
( जमीन से ) दीपक की ऊँचाई को शंकु की ऊँचाई द्वारा हासित किया जाता है। परिणामी राशि को शंकु की ऊँचाई द्वारा भाजित करते हैं । शंकु की छाया के माप को, इस प्रकार प्राप्त भजनफल द्वारा गुणित करने पर, दीपक और शंकु का क्षैतिज अंतर प्राप्त होता है ॥ ४३ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न शंकु की छाया की लंबाई ८ अंगुल है। दीप शिखा (दीपक की लौ) की (जमीन से) ऊँचाई ६० अंगुल है। हे गणितार्णव के पारगामी, दीपक और शंकु के क्षैतिज अंतर के माप को बतलाओ॥४४॥
दीपक की ( जमीन से ऊपर की ) ऊँचाई के संख्यात्मक माप को प्राप्त करने के लिये नियम-- माप है, 'अ' शंकु की ऊँचाई का माप है, ब दीपक की ऊँचाई का माप है, और 'स' दोपक तथा शंक के बीच का क्षैतिज अंतर है।
यह सूत्र पार्श्व में दी गई आकृति से स्पष्ट रूप से सिद्ध किया जा सकता है।
(४३) पिछली टिप्पणी में उपयोग में लाये गये प्रतीकों को ही उपयोग में लाकर, इस नियमानुसार स= छx होता है ।
(४४) अगले ४६-४७ वें श्लोकों के अनुसार शंकु की ऊँचाई का दिया गया माप १२ अंगुल है।