Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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२७२] गणितसारसंग्रहः
[९. १३३अत्रोद्देशकः पूर्वाह्ने शङ्कसमच्छायायां मल्लयुद्धमारब्धम् । अपराहे द्विगुणायां समाप्तिरासीच युद्धकालः कः॥ १३३ ॥
___ अपराधस्योदाहरणम् द्वादशहस्तस्तम्भच्छाया चतुरुत्तरैव विंशतिका।। तत्काले पौरुषिकच्छाया कियती भवेद्गणक ॥ १४३ ॥
विषुवच्छायायुक्ते देशे इष्टच्छायां ज्ञात्वा कालानयनस्य सूत्रम्शङ्कयुतेष्टच्छाया मध्यच्छायोनिता द्विगुणा । तदवाप्ता शङ्कमितिः पूर्वापरयोर्दिनांशः स्यात् ॥ १५३ ॥
अत्रोद्देशकः द्वादशाङ्गुलशङ्कोद्यदलच्छायाङ्गुलद्वयी। इष्टच्छायाष्टाङ्गुलिका दिनांशः को गतः स्थितः । व्यंशो दिनांशो घटिकाः कास्त्रिंशन्नाडिकं दिनम् ।। १७ ।।
1. किसी भी हस्तलिपि में प्राप्य नहीं है ।
किसी स्तम्भ की छाया के माप को स्तंभ की ऊँचाई द्वारा भाजित करने पर पौरुषी छाया माप (उस मनुष्य की छाया का माप उसकी निज की ऊँचाई के पदों में ) प्राप्त होता है। १२१॥
____ उदाहरणार्थ प्रश्न कोई मल्लयुद्ध पूर्वाह्न में आरम्भ हुआ, जब कि किसी शंकु की छाया उसी शंकु के माप के तुल्य थी। उस युद्ध का निर्णय अपराह्न में हुआ, जबकि उसी शंकु की छाया का माप शंकु के माप से दुगुना था। बतलाओ कि यह युद्ध कितने समय तक चला ? ॥ १३॥
श्लोक के उत्तरार्ध नियम के लिये उदाहरणार्थ प्रश्न किसी १२ हस्त ऊँचाई वाले स्तंभ की छाया माप में २४ हस्त है। उस समय, हे अंकगणितज्ञ, मनुष्य की छाया का माप क्या होगा ? ॥१४॥
जब किसी भी समय पर छाया का माप ज्ञात हो, तब विषुवच्छाया वाले स्थानों में बीते हुए अथवा बीतने वाले दिन के भाग को प्राप्त करने के लिये नियम
शंकु की ज्ञात छाया के माप में शंकु का माप जोड़ा जाता है। यह योग विषुवच्छाया के माप द्वारा हासित किया जाता है, और परिणामी अंतर को दुगुना कर दिया जाता है। जब शंकु का माप इस परिणामी राशि द्वारा भाजित किया जाता है, तब दशानुसार पूर्वाह्न में दिन में बीते हुए अथवा अपराह में दिन में बीतने वाले दिनांश का मान उत्पन्न होता है ॥ १५॥
उदाहरणार्थ प्रश्न १२ अंगुल के शंकु के संबंध में विषुवच्छाया दोपहर के समय (दिन के मध्याह्न में)२ अंगुल है, और अवलोकन के समय इष्ट ( ज्ञात ) छाया ८ अंगुल है। दिन का कौनसा भाग बीत गया है, और कौनसा भाग शेष रहा है ? यदि दिन का बीता हुआ भाग अथवा बीतने वाला भाग है, तो उसको संवादी घटिकाएँ क्या हैं, जबकि दिन ३० घटियों का होता है ॥ १६-१७॥
(११) यहाँ दिन के समय के माप के लिये दिया गया सूत्र बीजीय रूप
२ (छ+उ-व)