Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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-७. ३९ ]
क्षेत्रगणित व्यवहारः
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पणवाकारक्षेत्रस्यायामः सप्तसप्ततिर्दण्डाः । मुखयोर्विस्तारोऽष्टौ मध्ये दण्डास्तु चत्वारः ।। ३५ ।।
वज्राकृतेस्तथास्य क्षेत्रस्य षडग्रनवतिरायामः । मध्ये सूचिर्मुखयोत्रयोदश त्र्यंशसंयुता दण्डाः || ३६॥ उभयनिषेधादिक्षेत्र फलानयनसूत्रम् - व्यासात्स्वायामगुणाद्विष्कम्भार्धन्नदीर्घमुत्सृज्य । त्वं वद निषेधमुभयोस्तदर्धपरिहीणमेकस्य ।। ३७ ।।
अत्रोद्देशकः
आयाम: षट्त्रिंशद्विस्तरोऽष्टादशैव दण्डास्तु | उभयनिषेधे किं फलमेकनिषेधे च किं गणितम् ॥ ३८ ॥
बहुविधाकाराणां क्षेत्राणां व्यावहारिकफला नयनसूत्रम् - रज्ज्वर्धकृतित्र्यं शो बाहुविभक्तो निरेकबाहुगुणः । सर्वेषामश्रत्रतां फलं हिं बिम्बान्तरे चतुर्थांशः ॥ ३९ ॥
है, लम्बाई ७७ दंड, दोनों मुखों में प्रत्येक का माप ८ दंड और मध्य का माप ४ दंड है । इसके क्षेत्र - फल का माप बतलाओ ।। ३५ ।। इसी प्रकार, किसी वज्राकार क्षेत्र की लम्बाई ९६ दंड, मध्य में केवल मध्य बिन्दु है; और मुखों में से प्रत्येक का माप १३ दंड है । इसका क्षेत्रफल क्या है ? ।। ३६ ।।
उभयनिषेध क्षेत्र के क्षेत्रफल को निकालने के लिये नियम -
लम्बाई और चौड़ाई के गुणनफल में से लम्बाई और आधी चौड़ाई के गुणनफल को घटाने पर उभयनिषेध क्षेत्रफल प्राप्त होता है । जो लम्बाई और आधी चौड़ाई के गुणनफल में से उसी घटाई जाने वाली राशि की अर्द्धराशि घटाई जाने पर प्राप्त होता है, वह एकनिषेध आकृति का क्षेत्रफल होता है ।। ३७ ।।
उदाहरणार्थ प्रश्न
लम्बाई ३६ है, चौड़ाई केवल १८ दंड है । उभयनिषेध तथा एक निषेध क्षेत्र के क्षेत्रफलों को अलग अलग निकालो ।। ३८ ।।
बहुविधवज्र के आकार की रूपरेखा वाले क्षेत्रों के व्यावहारिक क्षेत्रफल के माप को निकालने के लिये नियम
परिमिति की अर्द्धराशि के वर्ग की एक तिहाई राशि को भुजाओं की संख्या द्वारा भाजित कर, और तब एक कम भुजाओं की संख्या द्वारा गुणित करने पर, भुजाओं से बने हुए समस्त क्षेत्रों के वज्राकार) क्षेत्रफल का माप प्राप्त होता है। इस फल का चतुर्थांश संस्पर्शी ( एक दूसरे को स्पर्श करने वाले ) वृत्तों द्वारा घिरे हुए क्षेत्र का क्षेत्रफल होता है ।। ३९ ।।
( ३७ ) इस गाथा में कथित आकृतियाँ नीचे दी गई हैंये आकृतियाँ किसी चतुर्भुजक्षेत्र को उसके दो विकर्णो द्वारा चार त्रिभुजों में बाँट देने पर प्राप्त हुई दिखाई देती हैं ! उभयनिषेध आकृति, इस चतुर्भुज के दो सम्मुख त्रिभुजों को हटाने पर प्राप्त होती है, और एकनिषेध आकृति ऐसे केवल एक त्रिभुज को हटाने पर प्राप्त होती है।
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( ३९ ) इस गाथा में कथित नियम कोई भी संख्या की भुजाओं से बनी हुई आकृतियों का