Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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-७. १८२३]
क्षेत्रगणितव्यवहारः
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अत्रोद्देशकः षोडशहस्तोच्छायौ स्तम्भाववनिश्च षोडशोद्दिष्टौ । आबाधान्तरसंख्यामत्राप्यवलम्बकं ब्रूहि ॥ १८१३ ॥ स्तम्भैकस्योच्छायः षट्त्रिंशद्विंशतिर्द्वितीयस्य । भूमिादश हस्ताः काबाधा कोऽयमवलम्बः ॥ १८२३ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न दिये गये स्तंभ की ऊँचाई ६ हस्त है । उस आधार की लम्बाई जो उन दो विन्दुओं के बीच की होती है, जहाँ धागे भूमि को स्पर्श करते हैं, १६ हस्त देखी गई है। इस दशा में आधार के खंडों (आबाधाओं) और अंतरावलम्बक के संख्यात्मक मानों को निकालो ॥ ११॥ एक स्तंभ की ऊँचाई ३६ हस्त है, दूसरे की २० हस्त है। आधार रेखा की लम्बाई १२ हस्त है । आबाधाओं और अंतरावलम्बक के माप क्या-क्या हैं ? ॥ १.२१॥ दो स्तंभ क्रमशः १२ और १५ हस्त हैं, उन दो
(१८०३) आकृति में यदि अ और ब स्तम्भों की ऊँचाईयों हों, स स्तंभों के बीच का अंतर हो, और म और न क्रमशः एक स्तम्भ के मूल से लेकर, भूमि को स्पर्श करने वाले, दूसरे स्तम्भ के अग्र से फैले हुए धागे के भूमिस्पर्श बिन्दु तक की लम्बाईयाँ हों, तो नियमानुसार, ( अ . अ (स+म) + ब (स+न)} (स+म+न);
(स+म) (स+न) , . अ (स+म)+ब (स+न)
स+म+न); जहाँ स, और सर स+म (स+म) (स+न) सम्पूर्ण आधार के खण्ड हैं। आर प= स.X १स+म' अथवा १२ स+न' जह
, अथवा सरx. , जहाँ पअन्तरावलम्बक है। इस आकति में सजातीय त्रिभुजों पर विचार करने पर यह ज्ञात होगा कि
अ
.. स, अ (म+म) प्राप्त होता है; इन निष्पत्तियों से हमें स, अ (म +म),
हम स ब ( स+न) अ (स+म)
अ (स + म) (स + म +न) .. स, + स२ अ (स+म)+ब (स+न)'' अ (स+म)+ब (स+न). क्योंकि स + स२ = स +म+न; ___ ब (स+न) (स+म+न)
..और पसx-- x२ अ (स+म)+ब (स+न) '
"स+न
स + म