Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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गणितसारसंग्रह
[७. १६४३अत्रोद्देशकः समवृत्तक्षेत्रस्य च सूक्ष्मफलं पञ्च निर्दिष्टम् । विष्कम्भः को वास्य प्रगणय्य ममाशु तं कथय ॥ १६४३ ॥
व्यावहारिकगणितफलं च सूक्ष्मफलं च ज्ञात्वा तव्यावहारिकफलवत्तत्सूक्ष्मगणितफलवद्वि समचतुरश्रक्षेत्रानयनस्य त्रिसमचतुरश्रक्षेत्रानयनस्य च सूत्रम्धनवर्गान्तरपदयुतिवियुतीष्टं भूमुखे भुजे स्थूलम् । द्विसमे सपदस्थूलात्पदयुतिवियुतीष्टपदहृतं त्रिसमे ॥ १६५३ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न समवृत्त क्षेत्र के संबंध में क्षेत्रफल का शुद्ध माप ५ है। वृत्त का व्यास गणना कर शीघ्र बतलाओ॥१६४१॥
किसी क्षेत्रफल के व्यावहारिक तथा सूक्ष्म माप ज्ञात होने पर. दो समान भुजाओं वाले तथा तीन समान भुजाओं वाले उन क्षेत्रफलों के माप के चतुर्भुज क्षेत्रों को प्राप्त करने के लिये नियम
दो समान भुजाओंवाले क्षेत्रफल के संबंध में, क्षेत्रफल के सन्निकट और सूक्ष्म मापों के वर्गों के अन्तर के वर्गमूल को प्राप्त करते हैं । इस वर्गमूल को मन से चुनी हुई राशि में जोड़ते हैं, तथा उसी मन से चुनी हुई राशि में से वही वर्गमूल घटाते हैं । आधार और ऊपरी भुजा को प्राप्त करने के लिये इस प्रकार प्राप्त राशियों को मन से चुनी हुई राशि के वर्गमूल से भाजित करना पड़ता है। इसी प्रकार, सन्निकट क्षेत्रफल में मन से चुनी हुई राशि का भाग देने पर समान भुजाओं का मान प्राप्त होता है ॥ १६५३॥
(१६५१) यदि 'रा' किसी दो बराबर भुजाओं वाले चतुर्भुज क्षेत्र के सन्निकट क्षेत्रफल को, और 'र' सूक्ष्म मान को प्ररूपित करते हों, और प मन से चुनी हुई संख्या हो, तो
_प- रा२-२ Vप
V
आधार-V रा२-२..
और प्रत्येक बराबर भुजाओं का मान =
VP
यदि दो बराबर भुजाओं वाले चतुर्भुज क्षेत्र की भुजाओं के माप क्रमशः अ, ब, स, द हों, तो
रा = अ ( व+द); प= (द)
.
.
ब
+
द
और र=
1
अ२-(ब-द)२
२
आधार और ऊपरी भुजा के लिये ऊपर दिये गये सूत्र रा, र । और प के इन मानों का प्रतिस्थापन करने पर सरलतापूर्वक / सत्यापित किये जा सकते हैं। इसी प्रकार तीन बराबर . भुजाओं वाले चतुर्भुज के संबंध में भी यह नियम ठीक सिद्ध होता है।