Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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[२०९
-७. १०३३]
क्षेत्रगणितव्यवहारः __विषमचतुरश्रक्षेत्रस्य मुखभूभुजावलम्बककर्णाबाधाधनानयनसूत्रम्ज्येष्ठाल्पान्योन्यहीनश्रुतिहतभुजकोटी भुजे भूमुखे ते कोट्योरन्योन्यदोभ्यां हतयुतिरथ दोर्घातयुक्कोटिघातः । कर्णावल्पश्रुतिनावनधिकभुजकोट्याहतौ लम्बको ताबाबाधे कोटिदोन ववनिविवरके कर्णघाताधैमर्थः ॥ १०३३ ॥
विषम चतुर्भुज के संबंध में, ऊपरी भुजा, आधार, बाजू की भुजाओं, ऊपरी भुजा के अंतों से आधार पर गिराये गये लम्बों, करें. आधार के खंडों और क्षेत्रफल के मापों को निकालने के लिये नियम----
दिये गये बीजों के दो कुलकों ( sets ) संबंधी दो आयताकार प्राप्त चतुर्भुज क्षेत्रों के बड़े और छोटे कर्णों से आधार और ( उन्हीं प्राप्त छोटी और बड़ी आकृतियों की) लम्ब भुजा क्रमशः गुणित की जाती हैं। परिणामी गुणनफल इष्ट चतुर्भुज क्षेत्र की दो असमान भुजाओं, आधार और ऊपरी भुजा के मापों को देते हैं। प्राप्त आकृतियों की लम्ब भुजाएँ एक दूसरे के आधार द्वारा गुणित की जाती हैं। इस प्रकार प्राप्त दो गुणनफल जोड़े जाते हैं। तब उन आकृतियों संबंधी दो लर भुजाओं के गुणनफल में उन्हों आकृतियों के आधारों का गुणनफल जोड़ा जाता है। इस प्रकार प्राप्त दो योग, जब उन दो आकृतियों के दो कर्णों में से छोटे कर्ण के द्वारा गुणित किये जाते हैं, तब वे इष्ट कर्णों को उत्पन्न करते हैं। वे ही योग, जब छोटी आकृति के आधार और लम्ब भुजा द्वारा क्रमशः गुणित किये जाते हैं, तब वे कर्णों के अंतों से गिराये गये लम्बों के मापों को उत्पन्न करते हैं; और जब वे उसी आकृति की लम्ब भुजा और आधार द्वारा गुणित होते हैं, तब वे लम्बों द्वारा उत्पन्न आधार के खंडों के मापों को उत्पन्न करते हैं। इन खंडों के माप जब आधार के माप में से घटाये जाते हैं, तब अन्य खंडों के मान प्राप्त होते हैं। उपर्युक्त प्राप्त हुई आकृति के कर्णों के गुणनफल की अर्द्धराशि, इष्ट आकृति के क्षेत्रफल का माप होती है ॥१०३३॥
आधार = २XV २अब x(अ+4)XV२अ ब (अ-ब) अथवा ४अ ब (अ२ - बर) कर्ण %3D (अ+)२४२अ ब+ (अ-ब)२x२अ ब अथवा ४ अ ब (अ+ २) दूसरे आयत क्षेत्र के संबंध में बीज अ-ब और अब हैं। इस आयत के संबंध में: लम्ब भुजा = ४अ ब -(अ-ब२)२; आधार = ४अ ब (अ-ब२); कर्ण = ४२ व+ (अ-ब२) अथवा (अ+२)२
इन दो आयतों की सहायता से, इष्ट क्षेत्रफल की भुजाओं, कों, आदि के मापों को गाथा ९९ के नियमानुसार प्राप्त किया जाता है। वे ये हैं
आधार = लम्ब भुजाओं का योग = ८अ ब + ४'ब२-(अ-ब२)२ ऊपरी भुजा = बड़ी लम्ब भुजा-छोटो लाब भुजा-८अ२ ब२-१४२ ब२-(अ-ब२)२}
=(अ + ३२)२ बाजू की कोई एक भुजा = छोटा कर्ण = (अ+ब२)२ आधार का छोटा खंड = छोटी लम्ब भुजा = ४अ ब -(अ२-२) लम्ब = दो कणों में से बड़ा कर्ण = ४अ ब (अ+ब२) क्षेत्रफल = बड़े आयत का क्षेत्रफल = ८अ ब२४४अ ब (अ२-बर)
यहाँ देखा सकता है कि ऊपरी भुजा का माप बाजू की भुजाओं में से कोई भी एक के बराबर है। इस प्रकार, तीन भुजाओं वाला इष्ट चतुर्भुज क्षेत्र प्राप्त होता है।
(१०३) निम्नलिखित बीजीय निरूपण से नियम स्पष्ट हो जावेगाग० सा० सं०-२७