Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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-६. २२२]
मिश्रकव्यवहारः
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अत्रोद्देशकः वर्णाश्चापि रसानां कषायतिक्ताम्लकटुकलवणानाम् । मधुररसेन युतानां भेदान् कथयाधुना गणक ॥२१९।। वनेन्द्रनीलमरकतविद्रुममुक्ताफलैस्तु रचितमालायाः। कति भेदा युतिभेदात् कथय सखे सम्यगाशु त्वम् ॥२२०॥ केतक्यशोकचम्पकनीलोत्पलकुसुमरचितमालायाः । कति भेदा युतिभेदात्कथय सखे गणिततत्त्वज्ञ ॥२२१॥
ज्ञाताज्ञातलाभैर्मूलानयनसूत्रम्लाभोनमिश्रराशेः प्रक्षेपकतः फलानि संसाध्य । तेन हृतं तल्लब्धं मूल्यं त्वज्ञातपुरुषस्य ॥२२२।।
उदाहरणार्थ प्रश्न
हे गणितज्ञ ! मुझे बतलाओ कि छः रस-कषायला, कडुआ, खट्टा, तीखा, खारा और मीठा दिये गये हों तो संचय के प्रकार और संचय राशियां क्या होगी? ॥ २१९ ॥ हे मित्र ! हीरा, नील, मरकत, विद्रुम और मुक्ताफल से रची हई अंतहीन धागे की माला के संचय में परिवर्तन होने से कितने प्रकार प्राप्त हो सकते हैं, शीघ्र बतलाओ ॥ २२० ॥ हे गणित तत्वज्ञ सखे ! मुझे बतलाओ कि केतकी, अशोक, चम्पक और नीलोत्पल के फूलों की माला बनाने के लिये संचयों में परिवर्तन करने पर कितने प्रकार प्राप्त हो सकते हैं ?
किसी व्यापार में ज्ञात और अज्ञात काभों की सहायता से अज्ञात मूल धन प्राप्त करने के लिये नियम
समानुपातिक विभाजन की क्रिया द्वारा समस्त लाभों के मिश्रित योग में से ज्ञात लाभ घटाकर अज्ञात लाभों को निश्चित करते हैं। तब अज्ञात रकम लगाने वाले व्यक्ति का मूलधन, उसके लाभ को ऊपर समानुपातिक विभाजन की क्रिया में प्रयुक्त उसी साधारण गुणनखण्ड द्वारा भाजित करने पर, प्राप्त करते हैं ॥ २२२॥
अढोया जाने वाला कुल भार, दा% कुल दूरी, द = तय की हुई (जो चली जा चुकी है ऐसी) दूरी,
और ब = निश्चित की गई कुल मजदूरी है। यह आलोकनीय है कि यात्रा के दो भागों के लिये मजदूरी की दर एक सी है, यद्यपि यात्रा के प्रत्येक भाग के लिये चुकाई गई रकम पूरी यात्रा के लिए निश्चित की गई दर के अनुसार नहीं है ।
प्रश्न के न्यास (data दत्त सामग्री ) सहित निम्नलिखित समीकरण से सूत्र सरलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है
अद
(अ-क) (दा-द),
जहाँ क अज्ञात है।