Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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७४] गणितसारसंग्रहः
[ ४.५३अत्रोद्देशकः पद्मनालत्रिभागस्य जले मूलाष्टकं स्थितम् । षोडशाङ्गुलमाकाशे जलनालोदयं वद ।। ५३ ।। द्वित्रिभागस्य यन्मूलं नवघ्नं हस्तिनां पुनः । शेषत्रिपञ्चमांशस्य मूलं षड्भिः समाहतम् ॥५४॥ विगलद्दानधारार्द्रगण्डमण्डलदन्तिनः । चतुर्विंशतिरादृष्टा मयाटव्यां कति द्विपाः ॥ ५५ ॥ क्रोडौघार्धचतुःपदानि विपिनं शार्दूलविक्रीडितं प्रापुः शेषदशांशमूलयुगलं शैल चतुस्ताडितम् । शेषार्धस्य पदं त्रिवर्गगुणितं वर्ष वराहा वने दृष्टाः सप्तगुणाष्टकप्रमितयस्तेषां प्रमाणं वद ।। ५६ ।।
इत्यंशमूलजातिः। अथ भागसंवर्गजातौ सूत्रम्स्वोशाप्तहरादूनाच्चतुर्गुणाग्रेण तद्धरेण हतात् । मूलं योज्यं त्याज्यं तच्छेदे तद्दलं वित्तम् ॥ ५७ ।। १ B में 'वारा' पाठ है। २ इस श्लोक के पश्चात् सभी हस्तलिपियों में निम्नलिखित श्लोक है जो केवल ५७ वें श्लोक का
व्याख्यानुवाद हैअन्यश्च- . चतुर्हतदृष्टे नोनाद्भागाहत्यशहृतहारात् । तच्छेदेन हतान्मूलं योज्यं त्याज्यं तच्छेदे तदर्धवित्तम् ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न कमल की नाल के विभाग के वर्गमूल का आठगुना भाग पानी के भीतर है और १६ अंगुल पानी के ऊपर वायु में है। बतलाओ कि तली से पानी की ऊँचाई कितनी है तथा कमल नाल की लम्बाई क्या है?॥५३॥ हाथियों के झुण्ड में से. उनकी संख्या के २/३ भाग के वर्गमूल का ९ गुना प्रमाण, और शेषभाग के ६ भाग के वर्गमूल का ६ गुना प्रमाण; और, अंत में शेष २४ हाथी वन में ऐसे देखे गये जिनके चौड़े गण्ड मण्डल से मद झर रहा था। बतलाओ कुल कितने हाथी हैं ? ॥५४-५५॥ वराहों के झुण्ड के अर्द्ध अंश के वर्गमूल की चौगुनी राशि जंगल में गई जहाँ शेर क्रीड़ा कर रहे थे। शेष झुंड के दसवें भाग के वर्गमूल की अठगुनी राशि पर्वत पर गई। शेष के अर्द्धभाग के वर्गमूल की ९ गुनी राशि नदी के किनारे गई। और अन्त में ५६ वराह वन में देखे गये। बताओ कि कुल वराह कितने थे?॥५६॥
इस प्रकार, 'अंशमूल' जाति प्रकरण समाप्त हुआ। 'भाग संवर्ग' जाति सम्बन्धी नियम
(अज्ञात समूह वाचक राशि के विशिष्ट मिश्र भिन्नीय भाग के सरलीकृत) हर को स्व सम्बन्धित ( सरलीकृत) अंश द्वारा विभाजित करने से प्राप्त फल में से दिये गये ज्ञात भाग की चौगुनी राशि घटाओ । तब इस अंतर फल को उसी (ऊपर वर्ते हुए सरलीकृत ) हर द्वारा गुणित करो। इस गुणनफल के वर्गमूल को वर्ते हुए उसी हर में जोड़ो और फिर उसी में से घटाओ। तब योगफल अथवा अंतर फल में से किसी एक की अर्द्ध राशि, इष्ट ( अज्ञात समूह वाचक) राशि होती है। ॥५७॥
(५६) “शार्दूल विक्रीडित" का अर्थ शेरों की क्रीड़ा होता है। इसके सिवाय यह नाम उस छन्द का भी है जिसमें कि यह श्लोक संरचित हुआ है।
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(मफ-४अ)मप
(५७) बीजीय रूप से कथन करने पर, क=
- होता है । क की