Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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—६. १६१ ]
मिश्रक व्यवहारः
सूर्यरथाश्वेष्टयोगयोजनानयनसूत्रम् - अखिलाप्ताखिलयाजनसंख्या पर्याययोजनानि तानीष्टयोगसंख्या निघ्नान्येकैकगमनमानानि ॥ १५७ ॥
स्युः ।
अत्रोद्देशकः
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रविरथतुरगाः सप्त हि चत्वारोऽश्वा वहन्ति धूर्युक्ताः । योजनसप्ततिगतयः के व्यूढाः के चतुर्योगाः ।। १५८ ॥ सर्वधनेष्टहीनशेषपिण्डात् स्वस्वहस्तगतधनानयनसूत्रम् - रूपोननरैर्विभजेत् पिण्डीकृतभाण्डसारमुपलब्धम् । सर्वधनं स्यात्तस्मादुक्तविहीनं तु हस्तगतम् ।। १५९ ।। अत्रोद्देशः वणिजस्ते चत्वारः पृथक् पृथक् शौल्किकेन परिपृष्टाः । किं भाण्डसारमिति खलु तत्रा है को वणिक श्रेष्ठः ॥ १६० ॥ आत्मधनं विनिगृह्य द्वाविंशतिरिति ततः परोऽवोचत् । त्रिभिरुत्तरा तु विंशतिरथ चतुरधिकैव विंशतिस्तुर्यः ॥ १६१ ।।
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सूर्यरथ के अश्वों के इष्ट योग द्वारा योजनों में तय की गई दूरी निकालने के लिए नियम - कुल योजनों का निरूपण करने वाली संख्या कुल अश्वों की संख्या द्वारा विभाजित होकर प्रत्येक अश्व द्वारा प्रक्रम में तय की जानेवाली दूरी ( योजनों में ) होती है । यह योजन संख्या जब प्रयुक्त अश्वों की संख्या द्वारा गुणित की जाती है तो प्रत्येक अश्व द्वारा तय की जानेवाली दूरी का मान प्राप्त होता है ।। १५७ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न
यह प्रसिद्ध है कि सूर्य रथ के अश्वों की संख्या ७ है । रथ में केवल ४ अश्व प्रयुक्त कर उन्हें ७० योजन की यात्रा पूरी करना पड़ती है। बतलाओ कि उन्हें ४, ४ के समूह में कितने बार खोलना पड़ता है और कितने बार जोतना पड़ता है ? ॥ १५८॥
समस्त वस्तुओं के कुल मान में से जो भी इष्ट है उसे घटाने के पश्चात् बचे हुए मिश्रित शेष में से संयुक्त साझेदारी के स्वामियों में से प्रत्येक की हस्तगत वस्तु के मान को निकालने के लिए नियमवस्तुओं के संयुक्त ( conjoint ) शेषों के मानों के योग को एक कम मनुष्यों की संख्या द्वारा भाजित करो; भजनफल समस्त वस्तुओं का कुल मान होगा । इस कुल मान को विशिष्ट मानों द्वारा हासित करने पर संवादी दशाओं में प्रत्येक स्वामी की हस्तगत वस्तु का मान प्राप्त होता है || १५९॥ उदाहरणार्थ प्रश्न
चार व्यापारियों ने मिलकर अपने धन को व्यापार में लगाया। उन लोगों में से प्रत्येक से अलग-अलग, महसूल पदाधिकारी ने व्यापार में लगाई गई वस्तु के मान के विषय में पूछा। उनमें से एक श्रेष्ठ वणिक ने, अपनी लगाई हुई रकम को घटाकर २२ बतलाया । तब, दूसरे ने २३, अन्य ने २४
१२ 2.र - य = १४
..(७)
यहाँ ( ७ ) और ( ५ ) तथा ( ६ ) और ( ३ ) के सम्बन्ध में संक्रमण क्रिया करते हैं, जिससे य, र, अ और ब के मान प्राप्त हो जाते हैं।