Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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- ६. ७८३ ]
मिश्रकव्यवहारः
केनापि संप्रयुक्ताशीतिः पञ्चकशतप्रयोगेण ।। ७४३ ।।
अष्टाद्यष्टोत्तरतस्तदशीत्यष्टांशगच्छेन । मूलधनं दत्त्वाष्टाद्यष्टोत्तरतो धनस्य मासार्धात् ॥ ७५३ ।। वृद्धिं प्रादान्मूलं वृद्धिश्च विमुक्तिकालश्च । एषां परिमाणं किं विगणय्य सखे ममाचक्ष्व ॥ ७६३ ।। एकीकरणसूत्रम् -
वृद्धिसमासं विभजेन्मासफलैक्येन लब्धमिष्टः कालः । कालप्रमाणगुणितस्तदिष्टकालेन संभक्तः ।। वृद्धिसमासेन हतो मूलसमासेन भाजितो वृद्धिः ॥ ७७३ ॥
अत्रोद्देशकः
युक्ता चतुरशतीह द्वित्रिकपञ्चकचतुष्कशतेन । मासाः पञ्च चतुर्द्वित्रयः प्रयोगककालः कः ॥ ७८३ ।। इति मिश्रकव्यवहारे वृद्धिविधानं समाप्तम् ।
वाले ऋण की मुक्ति के लिये ८० को महत्तम रकम चुना। इसके साथ, ८ प्रथम किस्त की रकम थी जो प्रति माह में उत्तरोत्तर ८ द्वारा बढ़ती चली गई। इस प्रकार उसने समान्तर श्रेढि के योग को ऋण रूप में चुकाया । इस समान्तर श्रेढि में पदों की संख्या थी । उन ८ के अपवयों पर ब्याज भी चुकाया गया । हे मित्र ! श्रेढि के योग की संवादी ऋण की रकम, चुकाया गया ब्याज और ऋण मुक्ति का समय अच्छी तरह गणना कर निकालो ।। ७३३-७६ ।।
औसत साधारण ब्याज को निकालने के लिये नियम -
( विभिन्न उपार्जित होने वाले ) ब्याजों के योग को ( विभिन्न संवादी ) एक माह के दातव्य व्याजों के योग द्वारा विभाजित करने पर परिणामी भजनफल, इष्ट समय होता है । ( काल्पनिक ) समयदर और मूलधनदर के गुणनफल को इष्ट समय द्वारा विभाजित करते हैं और ( उपार्जित होने वाले विभिन्न ) व्याजों के योग द्वारा गुणित करते हैं । प्राप्तफल को विभिन्न दिये गये मूलधनों के योग द्वारा फिर से विभाजित करते हैं । इससे इष्ट ब्याज दर प्राप्त होतो है | ॥ ७७ – ७७३ ॥ उदाहरणार्थ प्रश्न
इस प्रश्न में, चार सौ की ४ रकमें
अलग-अलग क्रमशः २, ३, ५ और ४ प्रतिशत प्रतिमास की दर से ५, ४, २ और ३ माहों के लिये ब्याज पर लगाई गईं। औसत साधारण अवधि और व्याजदर निकालो ॥ ७८ ॥
इस प्रकार, मिश्रक व्यवहार में वृद्धि विधान नामक प्रकरण समाप्त हुआ ।
( ७७ और ७७३ ) विभिन्न उत्पन्न होने वाले ब्याज वे होते हैं जो अलग-अलग रकमों के, विभिन्न दरों पर उनकी क्रमवार अवधियों के लिये ब्याज होते हैं ।
प्रतीक रूप से,
ध२ X अ२ X बा २ आX धा ध२ x १ x बा २ आ X धा
+
• अथवा औसत अवधि ;
और
धा X आ अ औ
ध
X अ, X बा आX धा
{44 X 2 X @19
आ X धा
X
+
= अ औ
XX बा आ X धा घ, + +.......
१०७
+
+
+
·}+
··}
ध२ X अ२ X बा २ आ X धा
.. ) = ब ओ अथवा औसत ब्याज |
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