Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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गणितसारसंग्रहः
[५. ६कार्षापणं सपादं निर्विशति त्रिभिरहोभिरर्धयुतैः । यो ना पुराणशतकं सपणं कालेन केनासौ ॥६॥. कृष्णागरुसत्खण्डं द्वादशहस्तायतं त्रिविस्तारम् । क्षयमेत्यङ्गुलमह्नः क्षयकालः कोऽस्य वृत्तस्य || स्वर्णैदशभिः सार्धेद्रौणाढककुडबमिश्रितः क्रीतः । वरराजमाषवाहः किं हेमशतेन सार्धेन ॥ ८॥ सार्थैत्रिभिः पुराणैः कुङ्कमपलमष्टभागसंयुक्तम् । संप्राप्यं यत्र स्यात् पुराणशतकेन किं तत्र ॥९॥ सार्धाद्रकसप्तपलैश्चतुर्दशा!निताः पणा लब्धाः । द्वात्रिंशदाकपलैः सपञ्चमैः किं सखे ब्रूहि ॥१०॥ कार्षापणैश्चतुर्भिः पञ्चांशयुतैः पलानि रजतस्य । षोडश सार्धानि नरो लभते किं कर्षनियुतेन॥११॥ कपूरस्याष्टपलैस्त्र्यंशोनैर्नात्र पञ्च दीनारान् । भागांशकलायुक्तान लभते किं पलसहस्रेण ॥१२॥ साधैत्रिभिः पणैरिह घृतस्य पलपञ्चकं सपञ्चांशम् । क्रीणाति यो नरोऽयं किं साष्टमकर्षशतकेन।।१३।। सार्धेः पञ्चपुराणैः षोडश सदलानि वस्त्रयुगलानि । लब्धानि सैकषष्टया कर्षाणां किं सखे कथय ॥१४॥ वापी समचतुरश्रा सलिलवियुक्ताष्टहस्तघनमाना । शैलस्तस्यास्तीरे समुत्थितः शिखरतस्तस्य ॥१५॥ वृत्ताङ्गुलविष्कम्भा जलधारा स्फटिकनिर्मला पतिता । - - वाप्यन्तरजलपूर्णा नगोच्छितिः का च जलसंख्या ॥१६॥ १ B में सत्कृष्णागरुखण्डं पाठ है। २ M और B में लभ्याः पाठ है। ३ B में समुत्थिता शि पाठ है। पण उपयोग में लाता है यह पण सहित १०० पुराण कितने दिन में खर्च करेगा । ॥६॥ १२ हाथ लम्बे ( आयत ) तथा ३ हाथ व्यास (विस्तार) वाले कृष्णागरु का सत्खंड ( अच्छा टुकड़ा ) एक दिन में एक घन अंगुल के अर्घ (rate) से क्षय होता है। बतलाओ कुल बेलनाकार टुकड़े को क्षय होने में कितना समय लगेगा? ॥७॥ १०३ स्वर्ण में श्रेष्ठ काले चने का वाह, द्रोण, १ आढक और १ कुडब खरीदे जाते हैं। बतलाओ १०.१ स्वर्ण में कितना कितना प्रमाण खरीदा जा सकेगा ? ॥८॥ यदि ३३ पुराणों के द्वारा पल कुम प्राप्त हो सकता हो तो १०० पुराणों में कितना प्राप्त हो सकेगा ? ॥९॥ ७३ पल 'आर्द्रक' के द्वारा १३३ पण प्राप्त किये गये । हे मित्र ! ३२६ पल आर्द्रक में क्या प्राप्त होगा ? ॥१०॥ ४६ कार्षापण में एक मनुष्य १६३ पल रजत प्राप्त करता है तो उसे १००,००० कर्ष में कितनी रजत प्राप्त होगी? ||१॥ ७३ पल कपूर के द्वारा एक मनुष्य ५ दीनार तथा १ भाग, १ अंश और १ कला प्राप्त करता है। बतलाओ कि उसे १००० पल के द्वारा क्या प्राप्त होगा? ॥१२॥ वह मनुष्य जो ३३ पण में ५६ पलधी प्राप्त करता हो तो वह १००१ कर्ष में कितना प्राप्त करेगा ? ॥१३॥५६ पुराण के द्वारा एक मनुष्य १६३ युगल वस्त्र प्राप्त करता है। हे मित्र ! ६१ कर्ष में उसे कितने प्राप्त होंगे?
जल रहित एक वर्गाकार कूप ५.२ धन हस्त है। उसके तीर पर एक पहाड़ी है। उसके शिखर से स्फटिक की भांति निर्मल जल धारा जिसके वर्तुल छेद ( circular section) का व्यास , अंगुल है, तली में गिरती है और कूप पानी से पूरी तरह भर जाता है। पहाड़ी की ऊँचाई क्या है तथा पानी का माप ( संख्यात्मक मान में) क्या है? ॥१५-१६॥ किसी राजा ने संक्रांति के अवसर पर
(७) यहाँ क्रिया में दिये गये व्यास से रंभ (बेलन) के अनुप्रस्थ छेद (cross-section) का क्षेत्रफल ज्ञात मान लिया जाता है । वृत्त का क्षेत्रफल अनुमानतः व्यास के वर्ग को ४ द्वारा भाजित कर और ३ द्वारा गुणित करने से प्राप्त राशि मान लिया जाता है।
कृष्णागरु एक प्रकार की सुगन्धित लकड़ी है जिसे सुगन्ध के लिए अग्नि में जलाते हैं ।
(१५-१६) इस प्रश्न में पानी की धारा की लम्बाई पर्वत की ऊँचाई के बराबर है, जिससे ज्योंही वह पर्वत की तली में पहुँचती है, त्योंही वह शिखर से बहना बंद हुई मान ली जाती है। वाहों में