Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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पञ्चसप्तनवराशिकेषु करणसूत्रम् -
लाभं नीत्वान्योन्यं विभजेत् पृथुपकिमल्पया पंक्त्या । गुणयित्वा जीवानां क्रयविक्रययोस्तु तानेव ॥ ३२ ॥
गणितसारसंग्रहः
अत्रोद्देशकः
द्वित्रिचतुःशतयोगे पञ्चाशत्षष्टिसप्ततिपुराणाः । लाभार्थिना प्रयुक्ता दशमासेष्वस्य का वृद्धिः ॥३३॥ हेम्नां सार्धाशीतेर्मासत्र्यंशेन वृद्धिरध्यर्धा । सत्रिचतुर्थं नवत्याः कियती पादोनषण्मासैः ॥३४॥ १ P में निम्नलिखित पाठान्तर है ।
प्रकान्तरेण सूत्रम्
संक्रम्य फलं छिन्द्यालघुपंक्त्याने करा शिकां पंक्तिम् । स्वगुणामश्वादीनां क्रयविक्रययोस्तु तानेव ।
अन्यदपि सूत्रम् -
संक्रम्य फलं छिन्द्यात् पृथुपंक्त्यभ्यासमल्पया पंक्त्या । अश्वादीनां क्रयविक्रययोरश्वादिकां संक्रम्य ॥ B केवल बाद का श्लोक दिया गया है जिसके दूसरे चौथाई भाग का पाठान्तर यह हैपृथुपंक्त्यभ्यासमल्प पंक्त्या हत्या |
साथ गुणित करने के पश्चात् ), सबको साथ लेकर गुणित की गई विभिन्न राशियों की छोटी संख्याओं परन्तु, जीवित पशुओं को बेचने और खरीदने के प्रश्नों में सम्बन्ध में ही पक्षान्तरण करते हैं ॥३२॥ उदाहरणार्थ प्रश्न
वाली पंक्ति द्वारा विभाजित करना चाहिये। केवल उन्हें प्ररूपण करनेवाली संख्याओं के
किसी व्यक्ति द्वारा ५०, ६० और ७० ( दर ) से लाभ के लिये ब्याज पर दिये गये। मास में ८०३ स्वर्ण मुद्राओं पर ब्याज १३ कितना होगा ? ॥ ३४॥ वह जो १६ वर्ण के
( ३२ ) फल का पक्षान्तरण तथा अन्य कथित क्रियायें निम्नलिखित साधित उदाहरण से स्पष्ट हो जायेंगी । गाथा ३६ के प्रश्न में दिया गया न्यास (data) प्रथम निम्न प्रकार प्ररूपित किया जाता है।
९ मानी
३ योजन
यथा,
[ ५.३२
६० पण
जब यहाँ फल, जो ६० पण है, को अन्य पंक्ति में पक्षान्तरित करते हैं तब
९ मानी ३ योजन
१.
पुराण क्रमशः २, ३ और ४ प्रतिशत प्रतिमास के अर्ध दस माह में उसे कितना ब्याज प्राप्त होगा ? ॥ ३३ ॥ होता है । ५ माह में ९०३ स्वर्ण मुद्राओं पर वह १०० स्वर्ण खंडों में २० रख प्राप्त करता है तो १० वर्ण
*
×१०x६०
९४३
१ वाह + १ कुम्भ १० योजन
अब, जिसमें विभिन्न राशियों की संख्या अधिक है ऐसी दाहिने हाथ की पंक्ति की सब राशियों को गुणित कर उसे वाम पंक्ति (जिसमें विभिन्न राशियों की संख्या कम है) की सब राशियों को गुणित करने से प्राप्त गुणनफल द्वारा भाजित करना चाहिये। तब हमें पणों की संख्या प्राप्त होगी जो कि इष्ट उत्तर होगा ।
९ वाह + १ कुम्भ = १४ वाह
१० योजन
६० पण