Book Title: Ganitsara Sangrah
Author(s): Mahaviracharya, A N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
Publisher: Jain Sanskriti Samrakshak Sangh
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गणितसारसंग्रहः
[३.६१
एकद्विकत्रिकाद्याश्चतुराद्याश्चैकवृद्धिका हाराः । निजनिजमुखप्रमांशाः स्वासन्नपराहताः क्रमशः ।।६।। विंशत्यन्ताः षड्गुणसप्तान्ता: पञ्चवगेपश्चिमकाः। षट्त्रिंशत्पाश्चात्याः सङ्क्षेपे किं फलं तेषां ॥६२।। चन्दनघनसारागरुकुङ्कममक्रेष्ट जिनमहाय नरः । चरणदलविंशपञ्चमभागैः कनकस्य किं शेषम ।।६३।। पादं पञ्चांशमधं त्रिगणितदशमं सप्तविंशांशकं च स्वर्णद्वन्दं प्रदाय स्मितसितकमलं स्त्यानदध्याज्यदुग्धम् । श्रीखण्डं त्वं गृहीत्वानय जिनसदनप्रार्चनायाब्रवीन्मामित्यद्य श्रावकार्यो भण गणक कियच्छेषमंशान्विशोध्य ।।६४।। अष्टपञ्चमुखौ हारावुभयेऽप्येकवृद्धिकाः । त्रिंशदन्ताः पराभ्यस्ताश्चतुर्गुणितपश्चिमाः ॥६५।। स्वस्ववक्तप्रमाणांशा रूपात्संशोध्य तवयम् । शेषं सखे समाचक्ष्व प्रोत्तीर्णगणितार्णव ॥६६।। एकोनविंशतिरथ क्रमात् त्रयोविंशतिद्विषष्टिश्च । रूपविहीना त्रिंशत्ततस्त्रयोविंशतिशतं स्यात् ।।६७।। पश्चत्रिंशत्तस्मादष्टाशीतिकशतं विनिर्दिष्टम् । सप्तत्रिंशदमुष्मादष्टानवतित्रिकोनपञ्चाशत् ॥६८।। चत्वारिंशच्छतिका सैका च पुनः शतं सषोडशकम् । एकत्रिंशदतः स्याद्वानवतिः सप्तपश्चाशत् ॥६९
१६३ और ६४ श्लोक K और B में प्राप्य हैं। २ M मुरु ३ यह श्लोक M में छूट गया है। ४ B विंशत्य । ५ यह श्लोक M में अप्राप्य है। ६K और B भागजात्यब्धिपारग। .
कुलकों को जोड़ने पर क्या योग प्राप्त होगा? ॥६१-६२॥ एक मनुष्य ने जिन उत्सव पर संदल (चंदन) लकड़ी, कपूर, अगरु और सौंफ (कुंकुममक्रेष्ट ) क्रमशः .. और६ स्वर्ण मुद्रा के, १ स्वर्ण मुद्रा में से, खरीदे। बतलाओ क्या शेष है ? ॥६३॥ एक योग्य श्रावक ने मुझे दो स्वर्ण मुद्राएं देते हुए कहा कि जिन मंदिर में पूजा के लिये...:. और स्वर्ण मुद्रा के क्रमशः विकसित श्वेत कमल, गाढ़ा दही, घृत, दुग्ध और चंदन लकड़ी लाओ। हे मित्र ! मुझे बतलाओ कि इतने खर्च के पश्चात् मेरे पास स्वर्ण मुद्रा का कितना भाग बचा?॥६॥ भिन्नों के दो कुलक हैं। हर क्रमशः ८ और ५ से आरम्भ होते हैं और दोनों दशाओ में उत्तरोत्तर एक द्वारा बढ़ते जाते हैं जब तक कि दोनों दशाओं में अंतिम हर ३० नहीं हो जाता । इन कुलकों के अंश दोनों कलकों के हर के प्रथम पद के तुल्य हैं। प्रत्येक कुलक के हरों में से प्रत्येक अपने उत्तरवर्ती द्वारा गुणित होता है । अंतिम हर दोनों दशाओं में ४ द्वारा गुणित किया जाता है । भिन्नों के दोनों परिणामी कुलकों को जोड़ने से प्राप्त दोनों योगो में प्रत्येक में से एक घटाने के पश्चात्, हे साधारण भिन्न महासागर के पार उतरने वाले मित्र, मुझे बतलाओ कि क्या शेप रहेगा ? ॥६५-६६॥ कुछ दिये हुए भिन्नों के हर क्रमशः १९, २३, ६२, २९, १२३, ३५, १८८, ३७, ९८, ४७, १४०, ४१, ११६, ३१, ९२, ५७, ७३, ५५, ११०, ४९, ७४, २१९ हैं; और,
(ii) २२+2+ २८ + ....+ २ २..., (ii) ३+२++ ...+ १५२१६+हे.