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अनुक्रमणिका ।
मिथ्यात्विक्रियाऽधिकारः ।
१ बोल पृष्ठ १ से ६ तक। बाल तपस्वी पिण सुपात्रदान. दया. शीलादि करी मोक्ष मार्ग मा देश थकी भाराधक कहा है। पाठ (भग० श० ८ उ० १०)
२ बोल पृष्ठ ६ से८ तक। प्रथम गुणठाणा रोधणी सुमुख गाथापतिई सुपात्र दान देई परीत संसार करी मनुष्य मो मायुषो बांध्यो पाठ ( विपाक सु० वि० अ० १)
३ बोल पृष्ठ ८ से ११ तक। मिथ्यात्वी थके हाथी सूसला री दया थी परीत संसार कियो पाठ (हाता ०१)
४ बोल पृष्ठ ११ से १२ तक। शकाल पुत्र भगवान ने वांद्या पाठ ( उपा० अ०७)
५ बोल पृष्ठ १२ से १३ तक । मिथ्यात्वी ते भली करणी रे लेखे सुनती कह्यो ? पाठ (उत्स० म०. गा. २०)
६ बोल पृष्ठ १३ से १५ तक । सम्यग्दृष्टि मनुष्य तिर्यश्च एक वैमानिक डाल और भायुषो न बांधे पाठ (भग० ० ० उ०१)