Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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लेपपकरणम् ।
चतुर्थों भागः
१३९
(५३७६) माजुफलादिलेपः (१) (५३७७) माजुफलादिलेपः (२) ( यो. त. । त. ७३ )
(वै. वल्लभ । वि. ७) पलप्रयं माजुफलं हरीतक्याः पलं तथा । घृष्टं माजूफलं व्रीहिवारिणा कृतलेपनात् ।
आमलक्यास्तु सप्तैव पलैकं खदिरस्य च ॥ नृणां तारुण्यजां हन्ति पिडिकां वदनोद्भवाम् ॥ तुत्थस्यापि पलैकं तु नीलीवटया दशैव तु । माजूफलको चावलोंके पानीमें घिसकर लेप नवसादरकस्यैकं लोहचूर्णस्य चैककम् ॥ करनेसे तारुण्य-पिडिकाओं (मुखके मुहासे) का तुवर्याः पलमेकं तु पलं ताम्रविशस्तथा।। नाश हो जाता है। अतिश्लक्ष्णमिदं घृष्टं भृङ्गराजरसेश्चिरम् ॥
___ (५३७८) मातुलुङ्गकेसरादियोगः सन्धितं त्रिदिनं लौहे भिन्नाञ्जनसमप्रभम् ।
(व. से. । पित्तज्वर.) सेक्षीकृत्य कचानादौ पुनस्तेनावलेपयेत् ॥ वातारिपत्रैरावेष्टय सुप्ति कुर्याद्विचक्षणः।।
जिहातालुगलक्लोमशोषे मूर्ध्नि च दापयेत् । मातस्तैलामलैः स्नात्वा नरो जायेत निश्चितम्॥
केसरं मातुलुङ्गस्य मधुसैन्धवसंयुतम् ॥ भिन्नकज्जलभृङ्गालीनिभकुन्तलसन्ततिः॥
___ बिजौरे नीबूकी केसर और सेंधा नमकके ____ माजूफल १५ तोले, हर्र ५ तोले, आमला
चूर्ण को शहद में मिलाकर शिर पर लेप करनेसे ३५ तोले, खरसार ५ तोले, नीला थोथा ५ तोले, /
| जिह्वा, तालु, गले और क्लोमके शोष (खुशकी) नीलकी टिकिया ५० तो., नौसादर ५ तोले,
का नाश होता है। लोहचूर्ण ५ तोले, गोपीचन्दन ५ तोले, ताम्रचूर्ण
(५३७९) मातुलुङ्गरसादियोगः ५ तोले और चांदीका चूर्ण ५ तोले लेकर सबका
(व. से. । ज्वरा. ; ग. नि. । ज्वरा.) अत्यन्त महीन चूर्ण करके उसे कई दिन तक | स्वरसं मातुलुङ्गस्य संयुक्तं मधुसर्पिषा । भंगरेके रसमें घोट कर कज्जलसा काला करलें । तालुशोषे प्रदेहोऽयं मूनि दाहे ससैन्धवः ॥ तत्पश्चात् लोह-पात्रमें भरकर उसका मुख बन्द |
बिजौ रे नीबूके स्वरसमें समान भाग शहद करके रख दें और ३ दिन पश्चात् काममें लावें ।
और घी तथा जरासा सेंधानमक मिलाकर शिरपर । बालोको (साबुन आदिसे धोकर) चिकनाई लेप करनेसे तालुशोष और दाहका नाश होता है। रहित करके यह लेप लगावें जौर ऊपरसे अरण्डका
(५३८०) मातुलुङ्गादिलेपः (१) पत्ता बांधकर सो रहें। दूसरे दिन प्रातः काल
(व. से. स्त्री रो.) बालोंको तैल मिश्रित आमलेका चूर्ण लगाकर | मातुलुङ्गस्य मूलन्तु माल्लकामूलमव स्नान कर लें।
| बिल्वमुस्तमिदं लेपं शिरोरोग विनाशनम् ॥ ___ इस प्रकार इस लेपके प्रयोगसे सफेद बाल बिजौरे नीबूकी जड़, मल्लिका की जड़, बेल भौं रेसे काले हो जाते हैं।
छाल और नागरमोथेको बारीक पीस कर ( शिर
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