Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 902
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मिश्राधिकार] चतुर्थों भागः पारीशष्ट (१) (६१) मिश्राधिकारः **6 ५१२४ महा सरस्वती अत्यन्त स्मृति वर्द्धक । ६००७ रसराजः बहु संख्यक रोग चूर्णम् ६०९० रसविकारशम- रस सेवन जन्य विकार ६६८३ मृणालकल्पः बल वीर्यवर्द्धक, पलित नोपायः रोग नहीं होने देता, ६०९५ रस सार रसः रोगोंसे रक्षा करता है। ६१८५ रास्नादिवस्तिः अनेक रोग ५६९३ मरिचशोधनम् ६९०८ वंगविकारशमनो- अशुद्ध वंगभस्म जनित पायः विकार ५७५२ यवक्षारादियोगः परदेशका पानी नहीं । ६९६४ वमनकारकरसः वामक लगता ६९६५ ५८३४ यशदविकारशम ७०८६ विषादि गुटिका वृद्धों के लिये अत्युनोपायः पयोगी वृद्धावस्था के ६००१ राजवल्लभधूपः सुगन्धित धूप . समस्त रोगनाशक । परिशिष्ट (२) (६२) धातु तथा विषोपविष शोधन मारण ** ५४७२ मण्डूर मारणविधिः ५५११ मनःशिलाशोधनम् ५४७३ ५५१२ ५५१३ ५५१४... ५४७४ For Private And Personal Use Only

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