Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[स्त्रीरोग
६०९२ रसशार्दूलरसः सूतिका रोग, शोथ .
मिश्र-प्रकरणम् ६०९३ , सूतिका रोग ५६९१ मधुयोगः- गर्भिणी के रक्तस्रावको ६३३० लक्ष्मणा लौहम् समस्त स्त्री रोग
३ दिनमें बन्द करता ६३३२ लक्ष्मीनारायण सूतिकारोग, शूल
| ५७१३ मूलिकादिधारण योनि शूल, रजोरोध रसः
५७१४ मूषकपुरीषयोगः प्रदर ६३४९ लवङ्गादिचूर्णम् गर्भिणीकी संग्रहणी,
| ५८४८ यवादि यूपः सूतिका रोग अनेक प्रकारका अति
६१७५ रम्भाफलयोगः सोम रोगमें अत्युपयोगी सार, शूल, शोथ ६९४० वटाङ्गदियोगः पुत्रदाता । ६१८३ रोस्नादि पयः .. योनिशूल ७१०४ वृहज्जीरकादि सूतिका रोग, प्रदर; ६१८४ , , , , मोदकः निर्बल तथा सन्तान ६४६२ लोमनाशनयोगः योनि के लोम समूल हीन स्त्रियोंको विशेष
नष्ट करता है। उपयोगी । ७१५३ वरुणपत्रोद्वर्तनम् किक्किस
(५९) स्नायुक रोगाधिकारः चूण--प्रकरणम्
करता है। ५७७२ योगराजः स्नायुकको सात दिनमें | अवश्य नष्ट कर देता है।
मिश्र-प्रकरणम् लेप-प्रकरणम्
७१६९ वृन्ताक योगः स्नायुकको सात दिनमें ६८५४ वार्ताकमूलादिलेप: स्नायुकको शीघ्र नष्ट |
बाहर निकाल देता है।
(६०) हृदयरोगाधिकारः चूर्ण--प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ६६१५ विडंगादिचूर्णम् कृमिजन्य हृद्रोग, (कृमि
निम्न मार्गसे निकल | ७०७० विश्वेश्वररसः हृद्रोग, फुफ्फुस रोग जाते हैं ।)
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