Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 903
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९०० भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [धातुप्रकरण - ५५१६ मनःशिलासत्वपातनम् ६१६३ रौप्यभस्म हरताल गंधक योगसे ५८३२ यशदमारणम् २-३ पुटी भस्म ५८३३ " ६१६४ रौप्यमाक्षिक शो५८३५ यशद शुद्धिः धनमारणे ६०५० रस कर्पूरविधिः ६१६५ रौप्यमाक्षिक सत्वपातनम् ६०५१ उपदंश, कुष्ठ ६०५२ , उपद्रव युक्त उपदंशको ६१४० राजावर्त भस्मविधिः शीघ्र नष्ट करता है। । ६१४३ राजावर्त सत्व पातनम् ६०५३ (अ) , रेचक, उपदंशनाशक | ६३८६ लोहचूर्ण प्रकारः ६०७२ रसभस्मविधिः ६३९० लोहद्रुतिः ६०७३ मुखरोगनाशक, काम ६३९१ चर्द्धक ६३९२ , ६०७४ ६०७५ सफेदभस्म ६३९४ ॥ मुखरोगनाशक सफेद । ६३९५ लोहनिरुत्थिकरणम भस्म ६४०१ लोहभस्मविधिः हिंगुल योगसे बिना ६०७७ पुटके भस्म ६०७८ अत्यन्त कामवईक, ६४०२ , , , गंधक योगसे योगवाही ६४०३ , , , भातके योगसे ५ पुटी ६०९६ रस सिन्दूरम् ६४०४ ,, ,, ३० पुटी अन्यन्त लाल ६०९७ भस्म ६०९८ ६४०५ , , , ४० पुटी ६०९९ ६४०७ लोह मारणम् नवसार योगसे बिना रससिन्दूर निर्माण तथा अग्नि दिये सेवन विधिः २ पुटी ६१६२ रौप्यभस्म पारद गंधक योगसे ६४०९ , बालुका यन्त्रद्वारा १० ६४१० " १२ पुटी पुटी भस्म गंधक योगसे बिना अग्नि ६४०८ " ३ पुटी For Private And Personal Use Only

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