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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[धातुप्रकरण
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५५१६ मनःशिलासत्वपातनम्
६१६३ रौप्यभस्म हरताल गंधक योगसे ५८३२ यशदमारणम्
२-३ पुटी भस्म ५८३३ "
६१६४ रौप्यमाक्षिक शो५८३५ यशद शुद्धिः
धनमारणे ६०५० रस कर्पूरविधिः
६१६५ रौप्यमाक्षिक सत्वपातनम् ६०५१
उपदंश, कुष्ठ ६०५२ ,
उपद्रव युक्त उपदंशको ६१४० राजावर्त भस्मविधिः शीघ्र नष्ट करता है। । ६१४३ राजावर्त सत्व
पातनम् ६०५३ (अ) , रेचक, उपदंशनाशक | ६३८६ लोहचूर्ण प्रकारः ६०७२ रसभस्मविधिः
६३९० लोहद्रुतिः ६०७३
मुखरोगनाशक, काम ६३९१ चर्द्धक
६३९२ , ६०७४ ६०७५ सफेदभस्म
६३९४ ॥ मुखरोगनाशक सफेद । ६३९५ लोहनिरुत्थिकरणम भस्म
६४०१ लोहभस्मविधिः हिंगुल योगसे बिना ६०७७
पुटके भस्म ६०७८
अत्यन्त कामवईक, ६४०२ , , , गंधक योगसे योगवाही
६४०३ , , , भातके योगसे ५ पुटी ६०९६ रस सिन्दूरम्
६४०४ ,, ,, ३० पुटी अन्यन्त लाल ६०९७
भस्म ६०९८
६४०५ , , , ४० पुटी ६०९९
६४०७ लोह मारणम् नवसार योगसे बिना रससिन्दूर निर्माण तथा
अग्नि दिये सेवन विधिः
२ पुटी ६१६२ रौप्यभस्म पारद गंधक योगसे ६४०९ , बालुका यन्त्रद्वारा १० ६४१० "
१२ पुटी पुटी भस्म
गंधक योगसे बिना अग्नि
६४०८ "
३ पुटी
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