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मिश्राधिकार]
चतुर्थों भागः
पारीशष्ट (१) (६१) मिश्राधिकारः
**6 ५१२४ महा सरस्वती अत्यन्त स्मृति वर्द्धक । ६००७ रसराजः बहु संख्यक रोग चूर्णम्
६०९० रसविकारशम- रस सेवन जन्य विकार ६६८३ मृणालकल्पः बल वीर्यवर्द्धक, पलित नोपायः
रोग नहीं होने देता, ६०९५ रस सार रसः
रोगोंसे रक्षा करता है। ६१८५ रास्नादिवस्तिः अनेक रोग ५६९३ मरिचशोधनम्
६९०८ वंगविकारशमनो- अशुद्ध वंगभस्म जनित
पायः विकार ५७५२ यवक्षारादियोगः परदेशका पानी नहीं ।
६९६४ वमनकारकरसः वामक लगता
६९६५ ५८३४ यशदविकारशम
७०८६ विषादि गुटिका वृद्धों के लिये अत्युनोपायः
पयोगी वृद्धावस्था के ६००१ राजवल्लभधूपः सुगन्धित धूप .
समस्त रोगनाशक ।
परिशिष्ट (२) (६२) धातु तथा विषोपविष शोधन मारण
** ५४७२ मण्डूर मारणविधिः
५५११ मनःशिलाशोधनम् ५४७३
५५१२ ५५१३ ५५१४...
५४७४
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