Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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लेपप्रकरणम् ]
चतुर्थों भागः
तद्वद्गोरोचना युक्तं मरीचं मुखलेपनात् ॥ गायका दांत, शंखचूर्ण और पलाशक्षार सिद्धार्थकवचालोध्रसैन्धवैश्च प्रलेपनम् ॥ समान भाग ले कर चूर्ण बनावें । .
नीचे लिखे तीनों लेप तारुण्यपिडिका | इसे पानीमें पीस कर लेप करनेसे योनिके (मुहासों) को नष्ट करते हैं।
बाल गिर जाते हैं। (१) लोध, धनिया और बच ।
(६३१८) लोमनाशनयोगः (२) (२) गोलोचन और काली मिर्च । । । (३) सफेद सरसों, बच, लोध और सेंधा
(यो. त. । त. ७६; ग. नि. । अधि. १०) नमक । सब ओपधियां समान भाग लेनी चाहिये। हरितालभागपञ्चमेको भागः पलाशभस्मभवः ।
(६३१५) लोधादिलेपः (३) - भागश्च यवक्षारः स्याल्लेपायोनिलोमहरः ॥ (व. से. । नेत्ररोगा.)
पीली हरताल ५ भाग, पलाशक्षार १ भाग तथा शावरकं लोध्र घृतभृष्टं विडालकः। और जवाखार १ भाग ले कर चूर्ण बनावें ।। कार्यो हरीतकी तद्वद् घृतयुक्ता रुजापहा ॥ इसे पानीमें पीसकर लेप करनेसे योनिके बाल
साबरलोध (पठानी लोध) को या हर्रको | गिर जाते हैं । घीमें भून कर नेत्रोंके बाहर लेप करनेसे नेत्रपीड़ा
(६३१९) लोमनाशनयोगः (३) शान्त होती है। (६३१६) लोधादिलेपः (४)
(ग. नि. । अधि. १०) (व. से. । उपदंशा.) समभागाद्धरितालादेको भागश्च किंशुकक्षारात्। तिरीटाअनवब्राहकोविदारेभकेशरैः । तद्वच्च शङ्खचूर्णादिति शातनमुत्तमं लोम्नाम् ॥ लेपनं पुरुषव्याधौ जलपिष्टैः प्रशस्यते ॥
शुद्ध हरताल, पलाशक्षार और शंखचूर्ण समान लोध, रसौत, तगर, कचनारकी छाल और |
| भाग ले कर सबको एकत्र मिलावें । गजकेसर समान भाग लेकर चूर्ण बनावें ।
इसे पानीमें मिला कर लेप करनेसे बाल गिर इसे पानी में पीस कर लेप करनेसे उपदंशके
जाते हैं। ब्रण नष्ट होते हैं। (६३१७) लोमनाशनयोगः (१)
(६३२०) लोहादियोगः - (ग. नि. । अधि. १०) (व. से. । क्षुद्र रोगा. ; वा. भ. । उ. अ. २४) गोदन्तं शङ्खचूर्ण क्षारेण युतं पलाशवृक्षस्य । अयोरजो भृङ्गराजस्त्रिफलाकृष्णमृत्तिका। . हरति जलेन तु पिष्टं प्रलेपनं योनिलोमानि ॥ स्थितमिक्षुरसे मासं समूलं पलितं जयेत् ॥
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