Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 830
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अतिसार] चतुर्थों भागः ८२७ छर्दि ७०७१ विश्वोद्दीपकाभ्रम् पुरानी मन्दाग्नि, शूल, ७१३७ वैश्वानर पोटली अग्निमांद्य । ७१३९ , , ,, ज्वर, उदर रोग ७०७२ विष गुटिका अग्निमांद्य, क्षय ७०८९ विसूचिकाविध्वंस विषूचिका और त्रिदोषज उपद्रव युक्त मिश्र-प्रकरणम् अतिसारको शीघ्र नष्ट करता है । ५६८६ मण्ड योगः क्षुधा तथा रक्त वर्द्धक, ७०९३ वीरभद्राभ्रकः अग्निमांद्य, अरुचि, व बस्तिशोधक मन आदि. ६१८६ रास्नादिमर्दनम् खल्ली शूल ७१३३ वैश्वानरपोटली अग्निमांद्य ६१८७ रास्नाद्यङ्गमर्दनम् , २-अतिसाराधिकारः कषाय-प्रकरणम् .५०३९. मुदगादिकषायः अतिसार, दाह, छर्दि- ६२११ लोधादि योगः रक्तातिसार नाशक सरल योग- ६४७० वचादि कषायः वातातिसार ५०४६ मुस्तक काथः प्रवृद्ध अतिसार पर ६४७३ वचादि गणः आमातिसार नाशक, सरल योग दोष पाचक ५०६० मुस्तादि , पित्त कफज अतिसार ६४७६ वटजटा प्रयोगः नवीन अतिसारको ५०६२ , , अतिसार, शोथ, ज्वर, शीघ्र नष्ट करता है। हल्लास ६४७८ वत्सकादिकषायः आमातिसार ५०६७ , , पित्तातिसार ६४८२ , क्याथः शूल युक्त पुराना ५०७१ , , पित्त वातज अतिसार रक्तातिसार ५०७६ , प्रमथ्या रक्तातिसार नाशक ६५२५ विडंगादि क्वाथः शोथातिसार सरल योग ६५२६ , योगः आमातिसार (रेचक) ५७२८ यवान्यादि दीपन दीपन, पाचन ६५२७ विजल स्वरसः आमातिसार कषायः ६५३२ विश्वादि कषायः , ५७३४ यष्टयादि क्वाथः रक्तातिसार ६५५१ वृहच्छालिपादि अतिसार मात्र ५८९८ रोहिण्यादिपाचनः अतिसार For Private And Personal Use Only

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