Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 884
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra रसायन वाजीकरण] ५५२० मन्मथाभ्र रसः ५५२४ मल्ल चन्द्रोदयः ५५२९ महाकनकसुन्दर रसः ५५३१ महाकल्प रसः ५५३३ महा कामेश्वरः ५५३४ महाकामेश्वरो मोदकः विकासकारक, अत्यन्त कामोत्तेजक 1 त्वचा, बाल, दांत आदि गिरकर नवीन निकल आते हैं । कामवर्द्धक अत्यन्त कामवर्द्धक, अग्निवर्द्धक तथा क्षय और प्रमेह नाशक, बुद्धिवर्द्धक बल वीर्य तथा बुद्धिवर्द्धक, सब रोगनाशक नपुंस्कता, बल, पलित (अत्यन्त कामवर्द्धक) ५५६९ महा लक्ष्मी वि- शुक्रक्षय, लिंगशैथिल्य, लास रसः ५५५४ महाबलविधाना भ्रकम् ५५६७ महाराज वटी ५५८८ महेश्वर रसः www.kobatirth.org चतुर्थी भागः ५६०२ मानिनीमान ૧૧૧ (अत्यन्त कामोत्तेजक, दृष्टिवर्द्धक) मर्दनरसः ५६१४ मुशली पाकः स्त्री द्रावक अत्यन्त बलकारक, अत्यन्त वाजीकरण, बलवर्द्धक, दुष्ट प्रयोग अत्यन्त वाजीकर, बल वीर्य, पौरुष वर्द्धक जनित नपुंस्कतानशिक | ५६४० मृतकन्दर्पजीवन अत्यधिक कामोत्तेजक वीर्यवर्द्धक बलिपलित नाशक, आयु वर्द्धक, इन्द्रिय अत्यन्त वीर्यवर्द्धक, का मोत्तेजक, उत्साहवर्द्धक रसः ५६५९ मृत्युंजय रसः ५६६० " ५६६१ " 27 ५६७० मेथी पाकः ६०३१ रक्त रसः " ६०३८ रतिकाम रसः ६०३९ रतिवल्लभपूग पाक: ६०६९ रस पोटली ६०८१ रस माणिक्यम् Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 33 अत्यन्त कामवर्द्धक बल्य, करण, रसायन अत्यन्त वाजीकरण अत्यन्त वीर्यवर्द्धक, अग्नि बल वर्द्धक; ६०४० रतिवल्लभोमादक: अत्यन्त ओज, बल, वीर्य और दृष्टिवर्द्धक, वाजीकरण ६०९१ रसवीरमहारसः ६१११ रसाभ्रकम् For Private And Personal Use Only ८८१ अत्यन्त कामोत्तेजक, बल्य, पौष्टिक समस्त रोग नाशक 22 " अत्यन्त वाजी बलकारक वाजीकरण, बलवर्द्धक, अग्निवर्द्धक जरानाशक, आयुवद्भक अत्यन्त अग्निवर्द्धक. वृद्धावस्था के कारण उत्पन्न पलित रोगको नष्ट करता है 1 ६११३ रसा गुटिका रसायन, अनेक रोग नाशक ५६०१ मानसोल्लास चू० वृष्य, अग्निदीपक, का मोत्तेजक कामोत्तेजक, स्तभ्मक, ६१२५ रसेन्द्रचूडामणि अत्यन्त काम वर्द्धक,

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