Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[वातव्याधि
-
५८४० योगेन्द्र अपस्मार, इन्द्रियनाश,
धनुर्वात, गात्रभंग मूर्छा
६९९३ वातराक्षसरसः पक्षाघात, कटिस्तम्भ, ६०८६ रसराजः अर्दित, उद्गार, शिर
आक्षेपक चकराना, अधिक प. | ६९९४ वातराज वटी वातव्याधि आदि अनेक सीना आना, हाथ पै
रोग रोका ठंडा रहना ६९९५ , , दाह, अनिद्रा, उरुस्तम्भ ६१०३ रसादि गुटिका पक्षाघातको शोघ्र नष्ट ६९९६ वातविध्वंसनरसः मन्योस्तम्भ, हनुस्तम्भ, करता है
गात्रशुष्कता, जिह्वास्तम्भ ६१०५ , गुटी स्पर्शवात
६९९७ , , , वात व्याधि, सूतिका६९५१ वडवानल रसः धनुर्वात, दण्डापतानक,
___ रोग, कफ कम्प ६९९८ , ,
सर्वांग व्यथा, अपस्मार ६९७४ वह्रिकुमार रसः वातरोग, अग्निमांद्य,
६९९९ ,, ,,
वायु, शीत, कफ, अकोस, कफ
निमांध ६९८० वातकण्टक रसः वातव्याधि, सन्निपात | ७००० , , , मन्यास्तम्भ, मलावरोध, ६९८२ वातगजाङ्कुश , साध्यासाध्य समस्त
अफारा वातज राग, (त्रिदोषज । ७००१ , , , समस्त वातव्याधि, गुल्म, गृध्रसीको ७ दिन में
जठर पीड़ा नष्ट करता है।)
७००२ वातारि रसः समस्त वातज रोग ६९८३ , , , समस्त वोतज रोग
७००३ , ६९८४ वातगजेन्द्रसिंहः अभिघात, व्याधि अ
७००४ , , वात कफज रोग, प्रमेह थवा अधिक स्त्री प्रसं
७००६ , , वात व्याधि गसे उत्पन्न अंगोंकी ७०९५ वृकोदरीवटी वात कफज रोग, आमक्षीणता
विकार ६९८५ वातचिन्तामणि- वातज राग, पित्तज- ७०९६ वृद्धचिन्तामणि- शरीरको शून्यता, अरसः रोग, (सिद्धप्रयोग)
ति निद्रा, रोमहर्ष, ६९८७ वातनाशिनीवटी दण्डापतानक, पक्षा
अपतन्त्रक घात, गृध्रसी ७१४२ व्याधिगजकेसरी वातपित्तज रोग, ज्वर ६९८८ वातपित्तारिरसः वातपित्तज रोग
रसः ६९९२ वातराक्षसरसः कम्पवात, सुप्तिवात,
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908