Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 895
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८५२ तैल-प्रकरणम् ५२७१ मञ्जिष्ठाद्यंतैलम् पलित और इन्द्रलुप्तमें अत्युपयोगी, बालोंको " ५२७६ मधुकादि तैलम् ५२८७ मरिचाद्यं दारुणक रोग वातकफज शिरो रोग ५२९० महा कनक ५२९५ नील समस्त शिरोरोग ना शक, नेत्र हितकारी । खिजाब (केशरंजक) पलित " "3 ५२९६ ५३१० मार्कव ५३११ मालव्यादि,, ५३१६ मांसी ५८०१ यष्टिमधु ५९६४ रुद्र ६२९५ लोहकिट्टाद्यं ६७९५ विडङ्गादि 59 " "" "" " 12 99 39 " 99 ६८२५ वृहदभृंगराज तैलम् " ------- ५३४८ मदनादि लेपः ५३६१ मरिचादिगुटिका ५३६३ " लेपः ५३६५ " भारत - भैषज्य रत्नाकरः गिरनेसे रोकता तथा दीर्घ और घुंघराले करता है; शिरशूल तथा नेत्रशूल नाशक । केश वर्द्धक www.kobatirth.org इन्द्रलुप्त, दारुणक रोग अरुषिका केशवर्द्धक लेप-प्रकरणम् रोग ३ दिनमें नष्ट करता है। दारुणक शिरोगत कृमि अकाल पलित, इन्द्रलु, (बालोंको दीर्घ, घने और काले करेता है ) केश वर्द्धक शिर पीड़ा 22 99 इन्द्र लुप्त [ शिरोरोग ५३७५ माकन्दबीजादिलेप: अत्यन्त केश वर्द्धक ५३७६ माजूफलादि केशर ंजक (खिजाब) ५३८५ माषमस्यादि ५३८८ मांस्यादि ५३९० - " ५४२२ मृणालादि ५४२३ ५८१५ यष्टचादि ५९७४ रक्तचन्दनादि ६३०३ लाक्षादि ६३२० लोहादि योगः " ६८८८ विडंगादि ६८८९ विश्वादि "" "" "" For Private And Personal Use Only " " "" " " "7 " 19 " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " नस्य--प्रकरणम् ५४५४ मधुकादिनस्यम् वात पित्तज शिर शूल ५४५६ मनः शिलादि ५४६२ महौषधादि इन्द्रलुप्त, पलित केशवर्द्धक बालों को गिरने से रोकता और लम्बे, काले तथा घुंघराले करता है । शिर पीड़ा 13 इन्द्रलुप्त (केशपौष्टिक) शिरपीड़ा दारुणक "" सफेद बालोंको जड़ से का करता है । अर्धावभेद सूर्यावर्त, अर्धावभेदक अर्धावभेदक शिरोरोग, भुजास्तम्भ रस-प्रकरणम् ५५७० महालक्ष्मीविलास वात कफज शिरो रोग रसः ५६०६ मिहिरोदयवटी अर्द्धावभेदक, अनन्त - वात, सूर्यावर्त, शंखक ६०६१ रसचन्द्रिकावटी शिरोरोग, पीनस, - मिश्र-प्रकरणम् ६४६३ लोहादि योगः पलित

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