Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 847
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४४ भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [ कुष्ठ, रक्तविकार ५८३७ योगराज लौहः कुष्ठ ६३६४ लाङ्गल्याद्यलाहम् जानु तक फैला और ५८३८ योगामृत रसः सुप्ति कुष्ट, मण्डलकुष्ठ सर्वाङ्गमें फूटा हुवा ६०६२ रस तालेश्वररसः विचर्चिका, कण्डू , कुष्ठ वातरक्त ६९३१ वज्रधार रसः समस्त कुष्ठ ६०८८ रसराजः कुष्ठ, विद्रधि (अग्नि ६९३६ वज्रवटी पामा बल वर्द्धक) ६९४८ वडवानलरसः कुष्टादि अनेकरोग ६११२ रसाभ्रगुग्गुलुः गलित् स्फुटित भयङ्कर ६९७६ वह्निचूडिकरसः किटिभकुष्ट वात रक्त, कुष्टादि । ६९९० वातरक्तान्तकरसः अत्यन्त घोर गम्भीर ६१२९ राजतालेश्चररसः अस्थिगत कुष्ठ, नासा सर्वदोषज वातरक्त भङ्ग, हस्तभङ्ग, मण्डल ६९९१ , , , गम्भीर वातरक्त, कुष्ठ कुष्ठ (कुष्ठको २ स- ७०१६ विकरालवक्तभैरव प्ताहमें नष्ट करता है। रसः ७०२० विजयभैरवरसः साम वातरक्त, समस्त ६१३४ राजराजेश्वर ,, दद्रु, किटिभ कुष्ठ, मण्डल कुष्ठ ७०२२ विजय रसः समस्त कुष्ठ ६१५६ रुद्रवटी समस्त कुष्ठ ७०२९ विजयेश्वर रसः श्वेत कुष्ठ ६३४६ लङ्केश्वर रसः ७०६४ विश्वहित रसः कुष्ठ ६३४७ , , सुप्ति, मण्डल कुष्ठ ७०९० वोरचण्डेश्वररसः ६ मासमें ऋष्य जिह्वक ६३६२ लाङ्गली गुटिका पैरोंमें घाव वाला, जानु कुष्ट नष्ट होता है। तक फैला हुवा मिश्र-प्रकरणम् कष्टसाध्य वातरक्त ५७१० मुस्ताद्योद्वर्तनम् दाद, खाज, पामा, ६३६३ , , कुष्ठनाशक, धो मेधा कुष्ठनाशक, ५ विचर्चि का, किटिभ स्मृतिवर्द्धक कुष्ठादि (१७) कृमिरोगाधिकारः तथा उनके समस्त उपद्रव कषाय-प्रकरणम् ५०२७ मातुलुङ्गादिकल्कः कृमिरोग। ५०६६ मुस्तादि क्वाथः मुख और गुदाकी | ६५४४ विष्णुप्रियादि ओर जानेवाले कृमि । क्याथः कृमि For Private And Personal Use Only

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